लखनऊ, 17 सितम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश में दो दिन से हो रही बारिश की वजह से जनजीवन पूरी तरह से अस्त व्यवस्त हो गया है। तेज हवा के साथ कभी रुक कर तो कभी तेज बारिश होने के चलते कई शहरों के इलाके जलमग्न हो गये। आंधी और बारिश की वजह से पिछले चौबीस घंटों के भीतर 40 से लोगों की जान चली गयी है। कई जगह मकान और पेड़ गिर गए, जिससे आवागमन बधित है। बिजली के खंभे गिरने से कई शहरों के इलाकों की बिजली गुल है। वहीं, रेलवे ट्रैक पर पेड़ गिरने से साबरमती ट्रेन हादसे का शिकार होते-होते बची। मौसम विभाग का अनुमान है कि राज्य में हवा संग बारिश का यह सिलसिला अलग-अलग शहरों के इलाकों में 19 सितम्बर तक जारी रहने की संभावना है।
इन जिलों में हुई सबसे ज्यादा मौतें
उत्तर प्रदेश में बुधवार रात से शुरु हुई बारिश गुरुवार को भी थमने का नाम नहीं ले रही है। तेज बारिश और आंधी के चलते प्रयागराज, बाराबंकी, प्रतापगढ़, फतेहपुर पांच-पांच लोगों की मौतें हुई है। इसके अलावा जौनपुर में चार, लखनऊ व कौशाम्बी में तीन-तीन,सुल्तानपुर, अमेठी अयोध्या में दो-दो, चित्रकूट, बांदा, उन्नाव, चंदौली व सीतापुर में एक-एक लोगों की जान चली गयी है। इसके अलावा गोवंशों की जानें गई है।
प्रदेश का आधे जिले जलमग्न, बिजली गुल
प्रदेश में जिस तरह से बारिश हुई है उससे कई वर्ष पूर्व के रिकार्ड टूट गए है। बारिश के चलते प्रदेश की राजधानी लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और कई ऐसे जिले है जो जलमग्न हो गये हैं। सड़कों पर पानी ही पानी दिख रहा है। नाली के रास्ते से लोगों के घरों में पानी जा रहा है, जिससे उन्हें काफी दिक्कतें हो रही है। जनपद भदोही, गाजीपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़ और मऊ के कई इलाकों में बिजली के तार टूट जाने से 270 से अधिक गांवों की आपूर्ति बाधित है।
हादसे से बची ट्रेन, नेशनल हाईवे पर जाम
इटावा में बारिश के दौरान हावड़ा-दिल्ली रेलमार्ग पर पेड़ गिरने से ओएचई लाइन टूट गई, जिससे इटावा जंक्शन समेत आसपास के स्टेशनों पर कई प्रमुख ट्रेनें खड़ीं हो गईं। रेलवे ट्रैक पर पेड़ गिरने से साबरमती ट्रेन हादसे का शिकार होते-होते बची। मानकनगर में ट्रैक पर पानी भरने से कानपुर से आने-जाने वाली ट्रेनें उत्तर रेलवे के ट्रैक से गईं। पेड़ टूटने से लखनऊ-अयोध्या नेशनल हाईवे पर डेढ़ घंटे से अधिक जाम लगा रहा।
बारिश ने कई रिकॉर्ड तोड़े
मौसम वैज्ञानिक का कहना है कि पश्चिम बंगाल के चक्रवात तूफान के असर के कारण प्रदेश में भारी बारिश हो रही है। लखनऊ में सितम्बर महीने में एक दिन में 10 साल में सबसे ज्यादा बारिश होने का रिकॉर्ड बना है। राज्य में 33.1 मिमी बारिश रिकॉर्ड हुई है, जो औसत अनुमान 7.6 मिमी से करीब 5 गुना ज्यादा है। अकेले लखनऊ में 36 घंटे में 222 मिमी बारिश हुई है। गुरुवार दोपहर दो बजे से शाम 5:30 बजे तक 23 मिमी बारिश रिकॉर्ड हुई। इसके अलावा बनारस में दस वर्षों में तीसरी बार एक दिन में सबसे अधिक बारिश होने का रिकार्ड है। इससे पहले वर्ष 2011 में एक दिन में 146 मिलीमीटर और 2019 में 130 मिलीमीटर तक बारिश दर्ज की गई थी।
27 जिले रेड जोन में
मौसम विभाग के मुताबिक 87 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के हवाओं के साथ बिजली की गरज चमक के बीच लखनऊ समेत 27 जिले में रेड अलर्ट जारी किया गया है। उनमें अमेठी, अयोध्या, बाराबंकी, बहराइच, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, कानपुर नगर, कानपुर देहात, औरैया, इटावा, कन्नौज, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, शाहजहांपुर, बरेली, पीलीभीत, बदायूं, कासगंज, एटा, मथुरा, अलीगढ़, बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर शामिल है। जबकि 35 जिलों को यलो जोन में रखा गया है।
अगैती फसलों नुकसान है अधिक बारिश
दो दिनों से हो रही लगातार बारिश की वजह से फसलों को भी नुकसान पहुंच रहा है। पूर्वांचल में खासतौर पर धान की अगैती फसल पर बुरा असर पड़ा। लखनऊ मण्डल के कृषि उप निदेशक सीपी श्रीवास्तव का कहना है कि अगैती फसल में बालियां आने लगी हैं। इसलिए तेज हवा और बारिश से फसल खेत में गिर गई। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि मक्का, ज्वार और बाजरा के खेतों में भरा पानी मेड़ काटकर तत्काल निकाल दें। बहराइच, अम्बेडकरनगर समेत कई जगह गन्ने की फसल गिर गई है। केले की फसल को भी नुकसान पहुंचा है।
मुख्यमंत्री योगी ने अधिकारियों को दिए निर्देश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में लगातार हो रही तेज बारिश के चलते राज्य के सभी शिक्षण संस्थानों को 17 व 18 सितम्बर को बंद रखने का निर्देश दिया है। उन्होंने प्रदेश के सभी मण्डलायुक्तों तथा जिलाधिकारियों को पूरी तत्परता से राहत कार्य संचालित करने का भी निर्देश जारी किया है। मुख्यमंत्री ने लोगों से सावधानी बरतने की अपील भी की है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि इस आपदा के दृष्टिगत जनपदों में राहत कार्य प्रभावी रूप से कराए जाएं। आपदा से प्रभावित लोगों को तत्काल राहत पहुंचायी जाए। जल-जमाव की स्थिति में प्राथमिकता पर जल निकासी की व्यवस्था करायी जाए। उन्होंने सम्बन्धित जनपदों के अधिकारियों को इस आपदा से हुए नुकसान का आकलन करने के निर्देश दिए हैं।