कोकराझार (असम), 08 अगस्त (हि.स.)। असम के नवगठित विद्रोही संगठन नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनएलएफबी) के 32 कैडर रविवार को मुख्यधारा में लौट आए। कैडर हथियार समेत असम-भूटान के रास्ते कोकराझार जिला के झारबारी में पहुंचे। यहां से पुलिस की सुरक्षा के बीच सभी कैडरों को कोकराझार स्थित डेजिगनेटेड कैंप में पहुंचाया गया।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व 22 जुलाई को भी उदालगुरी में एनएलएफबी के एम बाथा और अध्यक्ष एम बंथीगोरा के नेतृत्व में कुल 23 कैडर हथियार समेत मुख्यधारा में लौट आए थे। सभी को कोकराझार स्थित डेजिगनेटेड कैंप में रखा गया है।
नव गठित विद्रोही संगठन में कुल 200 कैडर हैं जो बहुत जल्द जंगल से लौटने वाले हैं। कोकराझार में एनएलएफबी के प्रमुख एम बाथा ने कहा कि 15 अगस्त के पूर्व शेष सभी कैडर वापस आ जाएंगे। इसी के फलस्वरूप रविवार को 32 कैडर कोकराझार के डेजिगनेटेड कैंप में पहुंचे हैं। एनएलएफबी ने अपने हथियार सरकार को नहीं सौंपे हैं।
एम बाथा ने रविवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि इस संबंध में मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा और बीटीसी के सीईएम प्रमोद बोडो के साथ बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त तक उदालगुरी में बनने वाले डेजिगनेटेड कैंप की व्यवस्था बन जाती है तो सभी कैडर वहीं पर रहेंगे। हालांकि, अभी तक संगठन ने आत्मसमर्पण नहीं किया है। इसलिए संगठन के पास उनके हथियार मौजूद हैं।
उल्लेखनीय है कि गत जनवरी 2020 में तीसरे बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर के बाद एम बाथा के नेतृत्व में एनडीएफबी के कुछ असंतुष्ट सदस्यों ने जंगल में लौटने के बाद यह संगठन बनाया था। एनडीएफबी के मुख्यधारा में लौटने के बाद माना जा रहा है कि बीटीसी इलाके में स्थायी शांति कायम हो जाएगी। क्योंकि बीटीसी इलाके में अब और कोई उग्रवादी संगठन सक्रिय नहीं है। पहले आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादी संगठनों के साथ शांति वार्ता सरकार के साथ चल रही है।