30 सितंबर: इतिहास के पन्नों में

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हंसती-गुदगुदाती, सार्थक संदेश वाली फिल्मों के निर्देशक ऋषि दाः हिंदी सिनेमा में हास्य को नयी रंगत और सिनेमा में भारतीय सामाजिक परिवेश को नया अर्थ देने वाले फिल्मकार ऋषि दा यानी ऋषिकेश मुखर्जी का जन्म 30 सितंबर 1922 को कलकत्ता में हुआ।

ऋषि दा को हल्की-फुल्की मनोरंजक फिल्मों के जरिये गहरा संदेश देने में महारत हासिल थी। ‘आनंद’ ‘अभिमान’ ‘चुपके-चुपके’ ‘मिली’ ‘गुड्डी’ ‘गोलमाल’ ‘रंगबिरंगी’ ‘खूबसूरत’ ‘आलाप’ जैसी कई कामयाब फिल्में बनाने वाले ऋषि दा ने अपने फिल्मी जीवन की शुरुआत 1953 में फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ में सहायक निर्देशक के रूप में की थी। उन्होंने जब स्वतंत्र रूप से निर्देशन शुरू किया तो अपनी तरह की ऐसी फिल्मों का ऐसा जादुई संसार रचा जो भारतीय समाज के इर्द-गिर्द घूमता हुआ दिलचस्प ढंग से आजादी के बाद के वर्षों के भारतीय समाज के सवालों की निशानदेही करता। खास बात यह कि हास्य रचते हुए कहीं न अश्लील संवाद और न ही भौंडे हावभाव। उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार, पद्मविभूषण सहित कई दूसरे सम्मान मिले।

सही अर्थों में ऋषि दा ने भारतीय सिनेमा को शालीन और स्वस्थ हास्य से परिचय कराया। शायद इसलिए लता मंगेशकर का कहना है ‘गुरुदत्त, शांताराम और बिमल दा के बाद ऋषिकेश दा ही थे जिनकी फिल्मों में हिन्दुस्तान नजर आता था। उनकी फिल्मों में गांव और शहरों में रहने वाला असली हिन्दुस्तान नजर आता था।’

अन्य अहम घटनाएं:

1687: औरंगजेब ने हैदराबाद के गोलकुंडा के किले पर कब्जा किया।

1837: हिंदी और पंजाबी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार व स्वतंत्रता सेनानी पंडित श्रद्धाराम शर्मा का जन्म।

1861: सुप्रसिद्ध तेलुगु साहित्यकार गुरुजाडा अप्पाराव का जन्म।

1898: अमेरिकी शहर न्यूयॉर्क की स्थापना।

1914: अपने समय के मशहूर उर्दू साहित्यकार व कवि अल्ताफ हुसैन हाली का निधन।

1929: मनुष्य को ले जाने योग्य पहले रॉकेट ने उड़ान भरी।

1993: महाराष्ट्र के औरंगाबाद में भूकंप से दस हजार लोगों की मौत, लाखों लोग बेघर हो गए।

1996: तमिलनाडु की राजधानी मद्रास का नाम बदलकर चेन्नई किया गया।

2001: वरिष्ठ कांग्रेस नेता माधवराव सिंधिया की विमान दुर्घटना में मौत।

2007: प्रख्यात पार्श्व गायक मन्ना डे को प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए चयन।

2010: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बाबरी मस्जिद मामले में जमीन को तीन हिस्सों में बांटकर रामलला, निर्मोही अखाड़ा और वक्फ बोर्ड को एक-एक हिस्सा देने का फैसला सुनाया।


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