30/10 के सिलसिलेवार बम विस्फोट में 14 लोग दोषी
गुवाहाटी, 28 जनवरी (हि.स.)। राज्य में 30 अक्टूबर, 2008 को हुए सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में सोमवार को करीब 10 साल बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने अहम फैसला सुनाते हुए 14 लोगों को दोषी ठहराया है। जबकि एक आरोपित को बेनिफिट आफ डाउट के तहत निर्दोश मुक्त करार दिया है। सजा का ऐलान बुधवार को होगा। इस फैसले से पीड़ितों की आंखें खुशी से भर आईं, लेकिन उनकी मांग है कि दोषियों को सजा-ए-मौत मिलनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट आफ बोड़ोलैंड (एनडीएफबी) के रंजन दैमारी गुट ने 30 अक्टूबर, 2008 को राजधानी गुवाहाटी के तीन स्थान गणेशगुड़ी, कचहरी और पान बाजार के अलावा बरपेटा जिला, बंगाईगांव जिला और कोकराझार जिला में कुछ मिनटों के अंतराल में सिलसिलेवार आठ बम विस्फोट किए गए थे। इन धमाकों में 88 लोगों की मौत हो गई और 540 व्यक्ति जीवन भर के लिए अपाहिज हो गए।
विस्फोट मामले के मुख्य आरोपी
सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारी एनएस यादव ने बताया है कि सीबीआई की विशेष अदालत ने मामले के 15 आरोपितों को दोषी करार दिया है। लेकिन न्यायालय के फैसले की प्रति आई तो एक आरोपित को बेनिफिट आफ डाउट के तहत दोष मुक्त कर दिया गया है। इनका नाम है मृदुल ग्यारी। जबकि दोषियों में एनडीएफबी के प्रमुख रंजन दैमारी, जॉर्ज बोड़ो, राजू सरकार, प्रभात बोड़ो उर्फ टेपा, अजय बसुमतारी, राहुल ब्रह्म, इंद्र ब्रह्म, लक्रा बसुमतारी, अंसाई बसुमतारी, राजेन ग्यारी, जयंती ब्रह्म, बी थराई उर्फ वैशागी बसुमतारी, मथुराम ब्रह्म और नीलिमा दैमारी शामिल हैं।
सुरक्षा के विशेष इंतजाम
सोमवार को राजधानी गुवाहाटी के चांदमारी स्थित सीबीआई की विशेष अदालत के अतिरिक्त कोर्ट नंबर 1, 2 और 3 में इस मामले की सुनवाई पूरी हुई। सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश अपरेश चक्रवर्ती ने सोमवार को दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए सभी 15 आरोपियों को दोषी करार दिया। फैसला आने के मद्देनजर न्यायालय में सुरक्षा के बेहद पुख्ता इंतजाम किए गए थे। इसके तहत केंद्रीय अर्धसैनिक बल और असम पुलिस के भारी संख्या में जवानों को तैनात किया गया था।
बम विस्फोट मामले में उग्रवादी संगठन एनडीएफबी के रंजन गुट के प्रमुख रंजन दैमारी समेत दो को मुख्य आरोपी बताया गया था और अदालत ने उसे भी दोषी करार दिया है।
उल्लेखनीय है कि बम विस्फोट के इस मामले की जांच वर्ष 2009 में सरकार ने सीबीआई को सौंपी थी। इसके बावजूद जांच में आशा के अनुरूप प्रगति न होते देख राज्य में सत्ता बदलने के बाद भाजपा नीत गठबंधन सरकार ने जांच में तेजी लाने के लिए वर्ष 2017 के दिसम्बर माह में फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन कर बम विस्फोट कांड की जांच को गति दी। अंततः इस मामले में सोमवार को न्यायाधीश एके चक्रवर्ती ने अपना फैसला सुनाते हुए 14 आरोपियों को घटना के लिए दोषी ठहराया। जबकि एक आरोपित को दोष मुक्त कर दिया। सजा का ऐलान बुधवार को अदालत कर सकती है।
उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने इस मामले में 120 (बी), 121 (ए), 122, 123 और दफा 302 के तहत मामला दर्ज किया था। साथ ही दो चार्जशीट दाखिल की थी। पहली चार्जसीट में 19 लोगों को आरोपित बनाया गया, जबकि दूसरी चार्जसीट में तीन लोगों को आरोपित बनाया गया था। इस तरह कुल 22 लोगों को इस घटना के लिए सीबीआई ने जिम्मेदार ठहराया था। सुनवाई के दौरान तीन आरोपितों की जहां मौत हो गई, वहीं जमानत के बाद चार आरोपित फरार हो गए हैं। फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन के बाद मामले में सीबीआई की अदालत में 650 गवाहों की गवाही दर्ज हुई, जबकि सीजीएम कोर्ट में कुल 74 गवाहों ने अपनी गवाही दी थी।
मामले में 22 आरोपितों को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। रंजन दैमारी को जून, 2013 में जमानत मिली थी। सोमवार को न्यायालय का फैसला आने के बाद पुलिस ने रंजन दैमारी समेत सभी गुनहगारों को गिरफ्तार कर लिया। इन सभी को कड़ी सुरक्षा के बीच गुवाहाटी केंद्रीय कारागार भेज दिया गया है, वहीं न्यायालय के इस फैसले से राज्य के लोगों में खुशी की लहर देखी जा रही है।