नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (हि.स.)। सीमा पर चीन और पाकिस्तान की गतिविधियों पर चर्चा के लिए भारतीय सेना के कमांडर सोमवार से नई दिल्ली में इस साल दूसरी बार एक मंच पर इकट्ठा होंगे। 28 अक्टूबर तक चलने वाले इस चार दिवसीय सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सेना के कमांडरों को संबोधित करने के साथ ही उनसे बातचीत भी करेंगे। इसके अलावा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना के प्रमुख तीनों सेनाओं में तालमेल बढ़ाने के मुद्दे पर कमांडरों को संबोधित करेंगे। कमांडरों के सम्मेलन में चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर सेना की तैनाती और जमीनी स्थिति की परिचालन तत्परता की समीक्षा होगी।
सेना कमांडरों का सम्मेलन शीर्ष स्तरीय द्विवार्षिक कार्यक्रम है जो अप्रैल और अक्टूबर में आयोजित किया जाता है। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे के नेतृत्व में थल सेना के कमांडरों का पहला सम्मेलन अप्रैल माह में 26 से 30 तारीख तक होना था लेकिन कोरोना की दूसरी लहर की वजह से इसे स्थगित करके इसी साल जून में किया गया था। अब दूसरा सम्मेलन सोमवार से 28 अक्टूबर तक नई दिल्ली में निर्धारित है। सेना का शीर्ष नेतृत्व चीन और पाकिस्तान के मोर्चों पर मौजूदा सुरक्षा और परिचालन स्थिति की समीक्षा करने के साथ ही भविष्य के रोडमैप पर भी विचार करेगा। सम्मेलन में सेना प्रमुख और उप प्रमुखों के अलावा 6 ऑपरेशनल या क्षेत्रीय कमांड के कमांडर और 1 प्रशिक्षण कमांड शामिल होंगे।
सेना के कमांडरों का यह सम्मेलन वैचारिक स्तर पर विचार-विमर्श के लिए एक संस्थागत मंच है, जिसमें भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लिए जाते हैं। यह सम्मेलन भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व के लिए सैन्य मामलों के विभाग और रक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत करने का एक औपचारिक मंच भी है। कमांडर कांफ्रेंस में सेना के शीर्ष अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक होनी है। भारतीय सेना का शीर्ष नेतृत्व वर्तमान/उभरती सुरक्षा और प्रशासनिक पहलुओं पर विचार-मंथन करेगा, ताकि सीमाओं पर मौजूदा हालातों और कोरोना महामारी की वजह से उभरी चुनौतियों के बीच जरूरत पड़ने पर युद्ध की स्थिति के लिए खुद को तैयार करने पर रूपरेखा तैयार की जा सके।
सम्मेलन के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सेना कमांडरों को संबोधित करने के साथ ही उनके साथ बातचीत करेंगे। इसके अलावा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना के प्रमुख भी सम्मेलन में तीनों सेनाओं में तालमेल बढ़ाने के लिए भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व को संबोधित करेंगे। नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पाकिस्तान के साथ मुद्दे और चीन सीमा (एलएसी) पर भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा किये जाने के मद्देनजर सेना कमांडरों का यह सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारतीय सेना ने पाकिस्तान से संघर्ष विराम की सहमति बनने के बाद नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया है।
कश्मीर घाटी में 11 गई प्रांतीय नागरिकों की हत्या होने और आतंकरोधी अभियान में सेना के नौ जवान शहीद होने के बाद थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने इसी हफ्ते दो दिवसीय जम्मू-कश्मीर का दौरा किया है। उन्होंने इस दौरान एलओसी पर पुंछ और राजौरी के अग्रिम इलाकों का दौरा किया और सेना की ऑपरेशनल तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने सेना के कमांडरों को शॉर्ट नोटिस पर ऑपरेशन के लिए तैयार रहने को कहा। भाटाधुडियां के घने जंगलों में छिपे आतंकियों को जल्द से जल्द मार गिराने के लिए अभी भी सेना का ऑपरेशन चल रहा है।