मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में कोरोना संकट काल में भी प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने लिए गए दूरदर्शितापूर्ण निर्णय के सुखद परिणाम सामने आ रहे हैं। प्रदेश में पूरे लॉक-डाउन के दौरान ग्रामीण और वन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां लगातार चलती रहीं। किसान न्याय योजना के माध्यम से प्रदेश के 19 लाख किसानों को नियमित अंतराल में धान बिक्री की राशि मिलती रही है। राज्योत्सव के मौके पर इसकी तीसरी किश्त के रूप में 1500 करोड़ रुपये किसानों के खाते में डाले गए हैं। पूर्व में भी 1500-1500 करोड़ रुपये की दो किश्तें किसानों के खातों में अंतरित की गई हैं। गोधन न्याय योजना के जरिए भी किसानों और पशुपालकों से गौठानों में गोबर की खरीद कर करीब 40 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा जीएसटी मंत्री टीएस सिंहदेव की पहल पर कोरोना काल में गांवों में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने मनरेगा का क्रियान्वयन प्रभावी तरीके से किया गया। इसके फलस्वरूप गांवों की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी रही। लोगों की जेब में पैसा आने से इसका लाभ उद्योग और व्यापार जगत को भी मिला। संकट-काल में ग्रामीण क्षेत्रों में जो आर्थिक तरलता बनी रही, उसका लाभ उद्योगों को भी मिला। वनांचलों में भी इस दौरान स्वसहायता समूहों के द्वारा वनोपज की खरीदी जारी रही। कोरोना संकट के दौरान रियल इस्टेट सेक्टर को सक्रिय बनाए रखने के लिए जमीनों की खरीद-बिक्री की शासकीय गाइडलाइन दरों में 30 प्रतिशत की छूट दी गई। ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी बेहतर कारोबार हुआ। लॉकडाउन के दौरान भी प्रदेश की कोयला खदानों और इस्पात उद्योगों में उत्पादन जारी रहा।