राजस्थान में बर्ड फ्लू की दहशत के बीच अब तक 2166 परिन्दों की मौत
जयपुर, 08 जनवरी (हि.स.)। प्रदेश के झालावाड़ जिले में कौओं की मौतों के साथ शुरू हुई बर्ड फ्लू की दहशत अब प्रदेश के सभी 33 जिलों में कायम हो गई है। झालावाड़ के बाद जयपुर, कोटा और बारां में भी परिन्दों की असामयिक मौतों के बाद बर्ड फ्लू की पुष्टि हो चुकी हैं। राजस्थान से जांच के लिए कुल 211 सैंपल भोपाल के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (निशाद) भेजे जा चुके हैं। राज्य में पहली बार 31 दिसम्बर को बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी।
राजस्थान में 26 दिसम्बर से लेकर शुक्रवार तक 2166 परिन्दों की मौत हो चुकी हैं। प्रदेश में शुक्रवार को भी 329 परिन्दे असामयिक मृत्यु का शिकार बन चुके हैं। हालांकि, पशुपालन विभाग के साथ राज्य का वन विभाग सरकार की एडवायजरी के बाद पूरी तरह अलर्ट मोड पर आ गया है, फिर भी एहतियात के तौर पर सरकार ने स्थानीय जिला प्रशासन को परिन्दों की असामयिक मौतों के मामलों पर निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। भरतपुर जिले के केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान में शुक्रवार को इंडियन थिकनी मृत पाई गई है। इसके अलावा शहर में दो स्थानों पर तीन कौए मृत मिले हैं। चारों मृत पक्षियों के सैंपल भोपाल भेजे गए हैं। घना में परिन्दों की सुरक्षा को लेकर सभी 14 रैपिड रेस्पॉन्स टीम को अलर्ट दिया गया है।
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. नगेश चौधरी ने बताया कि दो कौए गुंडवा गांव तथा एक कौआ रणजीत नगर क्षेत्र में मृत मिला है। इसके अलावा केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान में चक तिराहे के पास इंडियन थिकनी मृत पाई गई। यह लोकल बर्ड है। डीएफओ मोहित गुप्ता ने बताया कि यह नेचुरल डेथ लग रही है, लेकिन निगरानी बढ़ा दी गई है। विभाग ने केवलादेव घना के अलावा बांध बारैठा और नौनेरा कामां सहित आसपास की सभी वॉटर बॉडी पर सतर्कता बढ़ा दी है। इन दिनों यहां प्रवासी पक्षी हजारों के तादाद में आए हुए हैं। इसमें वारहेडेड गूज भी शामिल हैं। जिन्हें बर्ड फ्लू के लिहाज से सबसे संवेदनशील और संवाहक माना जाता है।
राजस्थान में बर्ड फ्लू कन्फर्म होने के बाद से अब तक बड़ी संख्या में मुर्गियों के साथ अन्य परिन्दें असामयिक मौतों के शिकार हो चुके हैं। शुक्रवार को भी जयपुर, झुंझुनू, टोंक, सवाई माधोपुर, श्रीगंगानगर, जोधपुर, पाली, कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ से पक्षियों की मौत के मामले सामने आए। अजमेर में अधिकांशत पोल्ट्री कारोबारी बर्ड फ्लू को लेकर आशंकित है। यहां हाल ही में मृत मिली मुर्गियों के सैम्पल भोपाल स्थित मुख्य परीक्षण लैब में भिजवाए गए हैं।
जोधपुर में भी कुछ दिन पहले कौओं की मौत होने के बाद उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आने के बावजूद वन विभाग ने माचिया बालाजी पार्क में बने चिडिय़ाघर में जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। माचिया बायोलॉजिकल पार्क के मुख्य गेट के एंट्रेंस पर भी एक नोटिस चस्पा किया गया है। चिडिय़ाघर सहित अन्य पिंजरों में काम करने वाले केयरटेकर को पीपीई किट दिए गए हैं।
प्रदेश में शुक्रवार को 329 पक्षियों की मौत हुई है, जिसमें 223 कौए शामिल है। अब तक कुल 2,166 पक्षियों की मौत हो चुकी है, जबकि 211 सैंपल जांच के लिए भोपाल भेजे गए हैं। बर्ड फ्लू की दहशत झालावाड़ से शुरू होकर प्रदेश के करीब 16 जिलों तक फैल चुकी हैं। पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. वीरेन्द्र सिंह ने बताया कि अभी तक प्राप्त सूचना के अनुसार उदयपुर, राजसमन्द, धौलपुर एवं बाड़मेर जिले में पक्षियों की मृत्यु नहीं हुई है। डीएफओ उपकार बौराना ने बताया कि जयपुर चिडिय़ाघर में वन अधिकारियों ने एनजीओ के साथ की बैठक कर बीमार और घायल पक्षियों के इलाज के लिए योजना बनाई है।
जैसलमेर से भोपाल लैब में भेजे पांच कौओं के सैंपल की रिपोर्ट में दो कौओं में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। ये कौए नरसिंगों की ढाणी में मृत मिले थे। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. विबोड़ कालरा ने बताया कि जिले में कौओं की मौत के बाद कबूतरों की मौत का मामला सामने आया है। तखतगढ़ की सरकारी स्कूल की छत पर 24 कबूतर मृत मिले है। सवाईमाधोपुर के चौथ का बरवाड़ा स्थित पावाडेरा ग्राम पंचायत के गुनशीला गांव में सात मोर और एक कबूतर मृत अवस्था में मिला। चित्तौडग़ढ़ से भेजे गए सैंपल में बर्ड फ्लू होने की पुष्टि हुई है।