2030 तक भारत बन जाएगा ‘गरीबी मुक्त देश’: ब्रुकिंग्स रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 27 जून (हि.स.)। अन्तरराष्ट्रीय स्तर की विख्यात शोध संस्था ब्रुकिंग्स की हालिया रिपोर्ट ‘द स्टार्ट ऑफ ए न्यू पॉवर्टी नरेटीव’ के मुताबिक अब भारत दुनिया में सबसे ज्यादा गरीब लोगों का देश नहीं रहा। पिछले कुछ सालों में भारत में जमीनी स्तर पर हुए कामों के चलते गरीबों की संख्या तेजी से घट रही है। अब नाइजीरिया में दुनिया के सबसे ज्यादा गरीब रहते हैं। तुलनात्मक रूप से यदि कुल आबादी में गरीबों की संख्या देखें तो भारत ने बहुत तेजी से अपने नागरिकों का जीवन सुधारा है। ब्रुकिंग्स की हालिया रिपोर्ट कहती है कि कभी 39 फीसदी गरीब जनसंख्या वाला देश भारत अब 21 फीसदी गरीब लोगों का देश बन चुका है, और ये प्रतिशत भी तेजी से कम हो रहा है। मई, 2018 तक के आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर बनी इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर मिनट में 44 लोग गरीबी से बाहर निकल रहे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक यदि ऐसा ही रहा तो साल 2030 तक भारत ‘गरीबी मुक्त’ देश बन जाएगा। ब्रुकिंग्स रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अब केवल 7 करोड़ 30 लाख लोग ही अत्यधिक गरीब बचे हैं, जो भारत की 132 करोड़ जनसंख्या में बहुत ही कम हैं। सबसे उत्साहजनक तथ्य ये है कि भारत में गरीबी तेजी के कम हो रही है। वहीं गरीबी के मामले में दुनिया में सबसे चिंताजनक स्थिति में अफ्रीका महाद्वीप है, जहां दुनिया के 18 सबसे गरीब देशों में से 14 देश हैं। दुनिया की दो तिहाई ‘बहुत गरीब’ जनसंख्या अफ्रीका महाद्वीप के देशों में रह रही है।यदि ऐसा ही रहा, तो साल 2030 तक दुनिया के हर 10 बहुत गरीब लोगों में से 09 अफ्रीका के नागरिक होंगे। ऐसे में भारत का उदाहरण दुनिया के सामने एक मिसाल बन रहा है, क्योंकि गरीब कम करने के प्रयासों में जो भारत में हो रहा है, वैसा पहले कभी दुनिया में नहीं देखा गया।

वर्ल्ड बैंक के ‘पॉवर्टी कैलकुलेटर’, आईएमएफ की वर्ल्ड इकॉनामिक आउटलुक रिपोर्ट, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रोस्पेक्ट्स, आईआईएएसए की सोशियो-इकॉनामिक पाथवेस रिपोर्ट और वर्ल्ड डेटा लैब के आंकड़े भारत सरकार की गरीबी रेखा से लोगों को ऊपर लाने की सफलता की कहानी कह रहे हैं। रिपोर्ट में माना गया है कि दुनिया से गरीबी को कम करना अब बहुत ही मुश्किल काम है। जनवरी, 2016 से जुलाई, 2018 के बीच एक अनुमान के तहत् करीब 8 करोड़ 30 लाख लोग गरीबी रेखा से ऊपर निकल आए हैं। लेकिन यदि दुनिया को गरीबी मुक्त करना है तो हमें साल 2030 तक करीब 12 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर लाना होगा, जो इतना आसान नहीं होगा। वहीं भारत, यदि मौजूदा गति से अपने देश के लोगों के लिए काम करता रहा, तो 2030 तक भारत गरीबी मुक्त देश हो जाएगा। दुनिया से गरीबी हटाने के लिए हमें 72 करोड़ लोगों के लिए काम करना होगा, इस तरह हमें हर सेकेंड 1.5 लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाना होगा, तब ही हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे। लेकिन हम मौजूदा हालात में केवल 1.1 लोगों को ही गरीबी से बाहर ला पा रहे हैं, ऐसे में साल 2030 तक दुनिया के हर व्यक्ति को गरीबी से बाहर लाना आसान नहीं होगा।

रिपोर्ट से अलग हटकर यदि भारत की बात करें तो मौजूदा सरकार की कई योजनाएं इस लक्ष्य की प्राप्ति में बहुत मददगार साबित हो रही हैं। खासकर गरीब महिलाओं, बालिकाओं, ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी गरीब तबके के लिए शुरू की गई योजनाओं का असर धरातल पर दिखने लगा है। युवा वर्ग को आत्मनिर्भर बनाना और उसे रोजगार दाता के रूप में स्थापित करने के प्रयास गरीबी को कम करने में सहायक साबित हो रहे हैं। ‘उज्जवला’ योजना के जरिए गरीब तबके की 3 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को बेहतर ईंधन के रूप में रसोई गैस की सुविधा मिली है। उसी तरह ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत् करोड़ों की संख्या में ग्रामीण इलाकों में शौचालयों का निर्माण गांवों में जीवन स्तर को ऊपर लाने में मददगार साबित हो रहा है। ‘मुद्रा बैंक’ और कौशल विकास मंत्रालय के प्रयास युवाओं को आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बनाने में अपनी भूमिका निभा रहें हैं।


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