ममता बनर्जी के मृत्यु कुंभ बयान पर घिरीं, संत समाज और भाजपा का तीखा विरोध

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कोलकाता, 19 फरवरी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने बयान को लेकर चौतरफा आलोचनाओं से घिर गई हैं, जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ को “मृत्यु कुंभ” कहकर संबोधित किया था। उनके इस बयान पर संत समाज और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और माफी की मांग की है।

भाजपा के पश्चिम बंगाल विधानसभा में मुख्य सचेतक शंकर घोष ने इसे हिंदू धर्म की धार्मिक परंपराओं का घोर अपमान बताया। उन्होंने कहा, “तृणमूल कांग्रेस की राजनीति से स्पष्ट है कि वर्तमान बंगाल सरकार हिंदू विरोधी नीति अपना रही है। हिंदू आमतौर पर प्रतिक्रिया नहीं देते, लेकिन अब जब वे प्रतिक्रिया दे रहे हैं, तो मुख्यमंत्री डर गई हैं।”

भाजपा के राज्यसभा सांसद समिक भट्टाचार्य ने कहा कि ममता बनर्जी का यह बयान पूरे भारतीय संस्कृति का अपमान है। उन्होंने कहा कि देश में कोई भी व्यक्ति इस अपमान को बर्दाश्त नहीं कर सकता। मुख्यमंत्री को अपने बयान के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।

अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने भी मुख्यमंत्री के बयान की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि पूरी संत समाज मुख्यमंत्री के इस बयान की आलोचना कर रही है। वे हिंदू धर्म के उत्थान और महाकुंभ के प्रति हिंदुओं के उत्साह से डरी हुई हैं। उन्होंने महाकुंभ को ‘मृत्यु कुंभ’ कहा है। अब मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि आगामी विधानसभा चुनाव उनके दल के लिए ‘मृत्यु कुंभ’ साबित हो।

अयोध्या के हनुमान गढ़ी मंदिर के महंत राजू दास ने ममता बनर्जी के बयान को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा, “लगता है कि विपक्षी दलों के अधिकांश नेता अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निशाना बनाकर पारंपरिक हिंदू धर्म पर हमला कर रहे हैं। ममता बनर्जी को अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।”


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