बांग्लादेश हाई कोर्ट ने उल्फा प्रमुख परेश बरुआ की मौत की सजा आजीवन कारावास में बदली, पूर्व मंत्री बाबर बरी

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ढाका : बांग्लादेश हाई कोर्ट ने प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन उल्फा के प्रमुख परेश बरुआ को आज बड़ी राहत प्रदान की। हाई कोर्ट ने बरुआ की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। साथ ही चट्टोग्राम हथियार तस्करी मामले में पूर्व गृह राज्यमंत्री लुत्फोजामन बाबर और उनके पांच साथियों को बरी कर दिया। यह केस 10 ट्रकों में भरकर भारत विरोधी आतंकवादी संगठनों को भेजे जा रहे हथियारों और गोला-बारूद से जुड़ा हुआ है।

ढाका ट्रिब्यून समाचार पत्र के अनुसार जस्टिस मुस्तफा जमां इस्लाम और जस्टिस नसरीन अख्तर की पीठ ने यह फैसला सुनाया। पूर्व गृह राज्यमंत्री लुत्फोजामन बाबर और उनके साथियों को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। वर्ष 2004 में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी की सरकार के दौरान हथियारों का यह बड़ा जखीरा जब्त किया गया था। लुत्फोजामन बाबर 2001 से 2006 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री खालिदा जिया की सरकार में गृह राज्य मंत्री थे।

हाई कोर्ट ने यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के सैन्य विंग कमांडर परेश बरुआ की मौत की सजा को आजीवन कारावास और छह दोषियों की मौत की सजा को 10 साल की सजा बदल दिया। इसके अलावा पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा खुफिया प्रमुख अब्दुर रहीम को मामले से छूट प्रदान कर दी। हाई कोर्ट में राज्य का प्रतिनिधित्व उप अटॉर्नी जनरल सुल्ताना अख्तर रूबी और सहायक अटॉर्नी जनरल मोहम्मद आसिफ इमरान जीसन ने किया। 30 जनवरी, 2014 को, चटगांव मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीश एसएम मुजीबुर रहमान ने विशेष अधिकार अधिनियम के तहत 14 लोगों को मौत की सजा सुनाई थी। इन लोगों में जमात-ए-इस्लामी के पूर्व प्रमुख मोतिउर रहमान निजामी, पूर्व गृह राज्यमंत्री बाबर, उल्फा के परेश बरुआ, डीजीएफआई के पूर्व निदेशक मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) रेज्जाकुल हैदर चौधरी और एनएसआई के पूर्व महानिदेशक अब्दुर रहीम प्रमुख हैं। इन दोषियों में से मोतिउर रहमान निजामी को मानवता के खिलाफ अपराध के लिए 2016 में फांसी दी गई थी।


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