जगुआर लैंड रोवर के अधिग्रहण से नैनो की लॉन्चिंग तक…रतन टाटा के अहम फैसले
मुंबई/नई दिल्ली : देश के बड़े उद्योगपतियों में शुमार पद्म विभूषण रतन टाटा के निधन से पूरा देश शोक में डूबा है । बुधवार देर रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 86 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। इसके साथ ही एक ऐसे युग का भी अंत हो गया जिसे हम कई मायनों में स्वर्णिम कह सकते हैं । वे सिर्फ एक उद्योगपति ही नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों के लिए आदर्श और प्रेरणा स्त्रोत थे। उनकी उदारता, सेवा-भावना, और सामाजिक योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा.
टाटा समूह ने उनके नेतृत्व में न सिर्फ व्यापार करने में बल्कि भारत में स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाई है। रतन टाटा अपने व्यापारिक साम्राज्य और अपनी मजबूत कार्य नीति के लिए जाने जाते थे । उन्हें देश की सबसे सस्ती कार टाटा नैनो की 2008 में लॉन्चिंग से लेकर दुनिया के सबसे पॉपुलर लग्जरी कार ब्रांड्स में से एक जगुआर लैंड रोवर के अधिग्रहण के लिए भी याद किया जाएगा।
रतन टाटा ने 1991 में टाटा संस और टाटा समूह के अध्यक्ष पद संभाला। 21 वर्षों तक उन्होंने टाटा समूह का नेतृत्व किया और इसे बुलंदियों पर पहुंचाया। उनके कुशल नेतृत्व में टेटली टी, जगुआर लैंड रोवर और कोरस का अधिग्रहण किया गया। टाटा नैनो कार रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट थी। उनकी देखरेख में टाटा समूह 100 से अधिक देशों में फैला हुआ है।
ब्रिटिश चाय कंपनी टेटली का अधिग्रहण
टाटा संस की कमान संभालने के बाद रतन टाटा ने काफी बड़ा और अहम फैसला साल 2000 में लिया । उन्होने दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी चाय कंपनी टेटली का अधिग्रहण कर लिया । ब्रिटिश चाय कंपनी Tetley के अधिग्रहण के बाद टाटा समूह ने न सिर्फ यूरोपीय बाजार में अपनी पकड़ बनाई बल्कि इसके बाद Tata दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी चाय कंपनी बन गई।
देश की सबसे सस्ती कार नैनो की लॉन्चिंग
रतन टाटा ने एक बार मुंबई की तेज बारिश में एक परिवार के चार लोगों को स्कूटर पर भीगते देखा। रतन टाटा को इस दृश्य ने इतना परेशान किया कि अगले दिन ही उन्होंने इंजीनियर को बुलाकर देश की सबसे सस्ती कार बनाने को कहा। यहीं से टाटा नैनो की शुरूआत हुई। देश की सबसे सस्त कारी टाटा नैनो 2008 में लॉन्च हुई। नैनो कार को लखटकिया कार भी कहा जाता है। हालांकि, लोगों को ये कार बहुत ज्यादा पसंद नहीं आई और साल 2020 में इसका उत्पादन टाटा समूह को बंद करना पड़ा। लेकिन इस अनुभव ने टाटा मोटर्स को अपनी स्ट्रेटजी बदलने को प्रेरित किया और इसकी वजह से कंपनी को आज काफी सफलता मिल रही है।
दुनिया पॉपुलर ब्रांड जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण
दुनिया के सबसे पॉपुलर लग्जरी कार ब्रांड में से एक जगुआर लैंड रोवर का मालिकाना हक टाटा मोटर्स के पास है। टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा भले हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वे समृद्ध विरासत छोड़ गए हैं। इन्हीं में से एक जगुआर लैंड रोवर भी है, जिसे रतन टाटा ने 2008 में खरीदा था। रतन टाटा के नेतृत्व में ही टाटा समूह ने लग्जरी कार निर्माता कंपनी जगुआर लैंड रोवर के अधिग्रहण का फैसला किया था। टाटा ने जेएलआर को 2.3 अरब डॉलर में अधिग्रहित किया गया था। वित्त वर्ष 2024 में जगुआर लैंड रोवर ने 29 अरब पाउंड का सर्वोच्च राजस्व हासिल किया, इसमें कंपनी का कुल लाभांश 2.6 अरब पाउंड रहा।
दरअसल जगुआर लैंड रोवर के अधिग्रहण के पीछे भी बड़ी रोचक कहानी है जो रतन टाटा के व्यक्तित्व और उनके विजन पर प्रकाश डालता है । एक वक्त ऐसा भी आया था जब टाटा मोटर्स का कार बिजनेस जब ठप पड़ने लगा । तब फोर्ड कंपनी इसे खरीदने पर राजी हो गई। डील साइन करने के लिए रतन टाटा अमेरिका में कंपनी के हेडक्वार्टर पहुंचे। मीटिेंग के दौरान फोर्ड के चेयरमैन ने रतन टाटा से कहा कि वो कंपनी खरीदकर उन पर एहसान करेंगे। ये बात रतन टाटा को पसंद नहीं आई. बाद में वक्त बदला और 2008 में फोर्ड कंपनी लगभग दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई । तब टाटा ने ही फोर्ड से लक्जरी कार कंपनी जगुआर लैंड रोवर को खरीद लिया ।