मां भगवती की पंचम स्वरुप सिंहवाहिनी माँ स्कन्दमाता पूजन की हार्दिक शुभकामनाएं।

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मां स्कंदमाता

एक पौराणिक कथा के अनुसार, कहते हैं कि एक तारकासुर नामक राक्षस था। जिसका अंत केवल शिव पुत्र के हाथों की संभव था। तब मां पार्वती ने अपने पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने के लिए स्कंद माता का रूप लिया था।

स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षण लेने के बाद भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का अंत किया था। माँ के ममता भरे आंचल में भगवान कार्तिकेय (स्कंद) विराजमान होते हैं, जो प्रेम और वात्सल्य का अद्वितीय प्रतीक हैं।

स्कंदमाता की चार भुजाएँ हैं। इनके दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा, जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा में वरमुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है उसमें भी कमल पुष्प ली हुई हैं। इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है।

माँ का यह रूप उनके मातृत्व और करुणा का प्रतीक है, जो हम सभी के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का संचार करता है। माँ स्कंदमाता की असीम कृपा से आपके सभी कार्य सिद्ध हों और जीवन में मंगलमय फल प्राप्त हों, ऐसी मंगलकामना करता हूँ।


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