पूर्वी चंपारण में खेल संसाधन का घोर अभाव,सरकारी स्टेडियम बना भैसों का चारागाह

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मोतिहारी,22फरवरी (हि.स.)।एक ओर जहां जिले से खेल प्रतिभा राष्ट्रीय एवं अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रही है, वहीं दूसरी ओर जिला खेल संसाधनों के अभाव में है।
ग्रामीण क्षेत्रों की कौन कहे,जिला मुख्यालय के एक गांधी मैदान को छोड़ यहां बने दो स्टेडियम में से एक नेहरू स्टेडियम में वर्षों से केन्द्रीय विद्यालय का संचालन हो रहा है। यहां अवस्थित भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है। उसमें ही यह विद्यालय संचालित हो रहा है।
दूसरा स्टेडियम जिला स्कूल में अवस्थित है। जिसका निर्माण आज से लगभग 12 साल पूर्व कराया गया था। जो लगभग तीन से चार माह पानी में डूबा रहता है और खिलाड़ी के निर्माण के बजाय जलकुंभी उत्पादन करता है।शेष दिन में यह स्टेडियम भैस और बकरी की चारागाह स्थली बनी रहती है।
बिडंबना तो यह है कि लाखों-करोडों की लागत से आधे अधूरे बने इन स्टेडियमों को आधुनिक स्वरूप देने के बजाय खस्ताहाल छोड़ दिया गया है।जिले से खेल प्रतिभा उभारने की बात हमेशा की जाती है। पिछले दिनों इसकी बानगी देखने को भी मिली थी।
पूर्वी चंपारण जिला क्रिकेट एसोसिएशन से जुडे पदाधिकारी ज्ञानेश्वर गौतम,सुरेन्द्र पांडेय,प्रीतेश रंजन एवं प्रकाश कुमार कन्हैया ने बताया कि जिले में स्टेडियम और टर्फ के साथ संसाधनों का घोर अभाव है। उन्होंने बताया कि गांधी मैदान में एक रूम नही होने के कारण हर साल बारिश में मैट सड़ जाती है। उन लोगों ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि अगर यहां बेहतर संसाधन उपलब्ध कराया जाय तो साकिबुल जैसे और प्रतिभाएं राज्य एवं देश स्तर पर निकल सकते है।


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