भाषा पर मनमाने निर्णय से गुस्से में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर
रांची 20 फरवरी। झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष ने धनबाद एवं बोकारो जिला से भोजपुरी एवं मगही भाषा को हटाने के सरकार के निर्णय से नाखुश ही नहीं बल्कि गुस्से में हैं। अध्यक्ष ने इस मामले में अपना पक्ष क्लीयर किया है। उन्होंने कहा कि इतना बड़ा निर्णय लेने से पूर्व सरकार को अपने घटक दलों से सलाह-मशविरा करना चाहिए था। राजेश ठाकुर ने कहा कि यह गठबंधन की सरकार है। अगर इस तरह का निर्णय लिया जाना चाहिए था।गठबंधन दलों के साथ बात करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो इन भाषाओं को शामिल करने मांग कहीं से उस तरह उठी नहीं थी। इसके बाद भोजपुरी, महगी, अंगिका एवं मैथिली को शामिल किया गया। फिर इसे हटा दिया गया। वह भी धनबाद एवं बोकारो से। झारखंड में इन भाषाओं को बोला जाता है। इसलिए इन्हें हटाना कहीं से उचित नहीं है। इससे सरकार के प्रति गठबंधन दलों एवं जनता के बीच अच्छा संदेश नहीं जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने संकेत में इन भाषाओं के पक्ष में अपनी बात रख दी। उन्होंने कह डाला भोजपुरी बिंदास भाषा है। दूसरी तरफ कांग्रेस कोटे के मंत्री आलमगीर आलम और रामेश्वर उरांव ने सरकार के निर्णय का स्वागत किया है।
राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पहले ही धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा कि गढ़वा में भोजपुरी भाषा को क्षेत्रीय भाषा की सूची में रखा गया है। इसी तरह मगही को चतरा, लातेहार जिला के क्षेत्रीय भाषा के सूची में रखा गया है।
रांची विधायक एवं पूर्व मंत्री सीपी सिंह ने वीडियो संदेश जारी कर हिन्दी को मान्यता नहीं दिये जाने और उर्दू को सभी जिलों में मान्यता दिये जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।इसे तुष्टीकरण की नीति बताया है।
सीमा सिन्हा ब्यूरो प्रमुख।