एबीजी शिपयार्ड घोटाला को बैंकों ने कम समय में पकड़ा: वित्त मंत्री

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– आरबीआई से विचार-विमर्श के बाद डिजिटल मुद्रा पर अंतिम फैसला
– गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया, महंगाई अब नीचे की ओर खिसकी

नई दिल्ली, 14 फरवरी (हि.स.)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि एबीजी शिपयार्ड जैसे घोटालों को पकड़ने में बैंक औसतन साढ़े चार साल का वक्त लगाते हैं लेकिन बैंकों ने औसत से कम वक्त में इसे पकड़ा है। अब इस मामले में कार्रवाई चल रही है। उन्होंने कहा कि एबीजी का खाता पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के कार्यकाल में एनपीए हुआ था।

वित्त मंत्री ने सोमवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) बोर्ड के निदेशकों की बैठक को संबोधित करने के बाद यहां आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के साथ आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में यह बात कही। निर्मला सीतारमण ने कहा कि डिजिटल मुद्रा पर आरबीआई के साथ बातचीत जारी है। बोर्ड के निदेशकों की बैठक को संबोधित करने के बाद वित्त मंत्री ने कहा कि रिजर्व बैंक और सरकार डिजिटल मुद्रा को लेकर एक साथ हैं। इस बारे में कोई फैसला विचार-विमर्श के बाद लिया जाएगा।

वित्त मंत्री ने एक फरवरी को अपने बजट भाषण में कहा था कि रिजर्व बैंक नए वित्त वर्ष 2022-23 में डिजिटल रुपया या डिजिटल करंसी (सीबीडीसी) जारी करेगा। इसके साथ ही उन्होंने एक अप्रैल से अन्य डिजिटल संपत्तियों से होने वाले मुनाफे पर 30 फीसदी की दर से कर लगाने का भी ऐलान किया था।

उधर, रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि महंगाई का रुख अब नीचे की ओर है। हालांकि, इसके साथ वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों का जोखिम जुड़ा है। उन्होंने कहा कि आरबीआई मूल्य वृद्धि और आर्थिक वृद्धि के बीच एक उचित संतुलन कायम करने का काम जारी रखेगा।


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