मुख्यमंत्री हेमंत ने पद पर रहते खनन पट्टा लिया, इस्तीफा दें- रघुवर दास

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रांची 10 फरवरी। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि 28 जनवरी को मैंने ग्रैंड माइनिंग कंपनी पर कुछ सवाल उठाये थे। इस संबंध में झामुमो नेता ने लोगों को गुमराह कर सच पर परदा डालने का प्रयास किया है।
उन्होंने दस्तावेज का हवाला देते हुए कहा कि वास्तविकता यह है कि ग्रैंड माइनिंग कंपनी पर सरकार का आज भी आठ करोड़ रुपये बकाया है। बकाया वसूलना तो दूर कंपनी आज भी अवैध माइनिंग का काम कर रही है और पत्थर बांग्लादेश भेजा जा रहा है। ग्रैंड माइनिंग कंपनी के कौन डायरेक्टर है, यह संथाल का बच्चा-बच्चा जानता है। इस मामले में एक ही कहावत सटीक बैठती है – बड़े मियां तो बड़े मियां, छोटे मियां सुभान अल्लाह।
भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह मुद्दा बहुत गंभीर है। यह मामला अमानत में खयानत का है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए मुख्यमंत्री रहते अपने नाम पर पत्थर खदान लीज की स्वीकृति लेने का काम किया है।
उन्होंने रांची जिले के अनगड़ा मौजा, थाना नं-26, खाता नं- 187, प्लॉट नं- 482 में अपने नाम से पत्थर खनन पट्टा की स्वीकृति ली है। उपर्युक्त खनन पट्टा की स्वीकृति के लिए हेमंत सोरेन 2008 से ही प्रयासरत थे। उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद पत्रांक 615/M, दिनांक 16-06-2021 द्वारा पत्थर खनन पट्टा की स्वीकृति हेतु सैद्धांतिक सहमति के आशय का पत्र (एलओआइ) विभाग ने जारी कर दिया। जिला खनन कार्यालय द्वारा पत्रांक- 106, दिनांक 10-07-2021 को खनन योजना की स्वीकृति दी गई और उसके बाद हेमंत सोरेन ने दिनांक 09-09-2021 को SEIAA को आवेदन भेजा। स्टेट लेबल इंवायरमेंट इंपेक्ट असेसमेंट ऑथोरिटी (SEIAA) द्वारा दिनांक 14-18 सितम्बर 2021 को सम्पन्न 90वीं बैठक में पर्यावरण स्वीकृति की अनुशंसा की गई।
मुख्यमंत्री द्वारा का यह कार्य गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी मंत्रियों के लिए आचार संहिता का उल्लंघन है। साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(डी) के तहत आपराधिक कृत्य है। केंद्र सरकार का यह कोड ऑफ कंडक्ट केंद्र सरकार के मंत्रियों व राज्य सरकार के मंत्रियों पर लागू होता है।
हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री के पद को पिछले दो साल से ज्यादा समय से संभाल रहे हैं और सरकारी सेवक के रूप में आते हैं। यह आश्चर्य है कि एक मुख्यमंत्री जिसके अंदर खान विभाग है। वही विभाग उन्हें पत्थर खनन पट्टा की स्वीकृति के लिए सैद्धांतिक सहमति का पत्र (एलओआइ) जारी करता है। जिला कार्यालय उनकी खनन योजना को स्वीकृत करता है। उनके अंदर का एक विभाग पर्यावरण स्वीकृति की अनुशंसा भी देता है।
यह भ्रष्ट आचरण का बड़ा प्रमाण है। यह अपने फायदे के लिए मुख्यमंत्री के पद का दुरुपयोग है, जो कि धारा 7 (ए) भ्रष्टाचार निरोधक कानून अंतर्गत दंडनीय अपराध है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का यह कृत्य धारा 169 आइपीसी का स्पष्ट उल्लंघन है। सरकार ने जिस जमीन की माइनिंग लीज दी है, वह सरकारी संपत्ति है और मुख्यमंत्री एक सरकारी सेवक हैं, इस नाते उनके द्वारा लीज लेना गैर कानूनी है। हेमंत सोरेन ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9 और संविधान के अनुच्छेद 191(ए) का भी उल्लंघन किया है। चूंकि पत्थर की माइनिंग बिना लीज के कोई आम आदमी नहीं कर सकता है, अतः हेमंत सोरेन को सरकार के द्वारा लीज देना सरकार का कार्य करना है। अतः धारा 9 (ए) के तहत हेमंत सोरेन को डिसक्वालीफाई करना चाहिए।
हेमंत सोरेन भारत सरकार के द्वारा जारी कोड ऑफ कंडक्ट के भी दोषी हैं। कोड ऑफ कंडक्ट के अनुसार कोई भी मंत्री, मुख्यमंत्री किसी तरह का व्यापार नहीं कर सकता है। फिर भी हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए सरकार चलाते हुए अपने नाम से व्यापार कर रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर जल्द ही भाजपा का एक डेलीगेशन राज्यपाल रमेश बैस से मिलेगा।

सीमा सिन्हा, ब्यूरो प्रमुख


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