बिहार के शाहाबाद में उमंग और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मनाई गई वसंत पंचमी

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आरा, 05 फरवरी(हि.स.)।विद्या की देवी हंसवाहिनी मां सरस्वती की पूजा और वसंत पंचमी के त्योहार को लेकर भोजपुर,बक्सर,रोहतास और कैमूर (शाबाबाद) के जिलों में शनिवार को उत्साह और उमंग का वातावरण रहा।ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी क्षेत्र के स्कूल,कोचिंग,टोले,मुहल्लों में मां सरस्वती की पूजा की गई।

स्कूलों के विद्यार्थी बच्चे और बच्चियां नए नए परिधानों में हंसवाहिनी सरस्वती मां की पूजा अर्चना करने में जुटे रहे।चौक,चौराहों,टोले और मुहल्लों में मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर सुबह से पूजा की गई।

सरस्वती पूजा के अवसर पर प्रतिमा स्थापित करने को लेकर एक दिन पूर्व ही भव्य और आकर्षक पंडाल बनाने का कार्य पूरा कर लिया गया है और शनिवार को इस पंडाल में मां सरस्वती का पट वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भक्तों और दर्शनार्थियों के पूजा अर्चना के लिए खोल दिया गया।भोजपुर के आरा,पीरो और जगदीशपुर अनु मंडलों में वसंत पंचमी का त्योहार धूम धाम से मनाया गया।जगह जगह मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर धूप,दीप और नौ वैद्य के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजा अर्चना की गई।बक्सर जिले के बक्सर शहर ब्रम्हपुर,चौसा,डुमरांव,इटाढ़ी,नावानगर जैसे कई इलाकों सहित पूरे जिले में गांव से लेकर शहर तक सरस्वती पूजा की धूम दिखी।

रोहतास जिले के बिक्रमगंज, काराकाट,डेहरी, चेनारी,नोखा,दिनारा,तिलौथू सहित पूरे जिले में जगह जगह मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की गई।कैमूर जिले के भभुआ,मोहनिया सहित पूरे जिले में गांव से लेकर शहर तक के इलाकों में चौक-चौराहों,स्कूलों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जा रही है।मां सरस्वती के जयकारे से वातावरण श्रद्धा और भक्ति के माहौल में डूबा हुआ है।

सरस्वती पूजा और बसंत पंचमी के आगमन के साथ ही वातावरण में बदलाव भी शनिवार को देखने को मिल रहा है।सुबह कुहासे की धुंध दोपहर होते होते छंट गई और धूप खिल उठा।मौसम में तेजी से बदलाव भी दिखने लगा है और सर्द हवाएं गायब होने लगी है। अब बसंत ऋतु की सुहानी हवाएं चल पड़ी है और बसंतोत्सव का असर मौसम पर साफ दिखने लगा है।सनातन से जुड़े हिंदू धर्म में बसंत पंचमी के त्योहार और सरस्वती पूजा का विशेष महत्व है।यह पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।

इस साल बसंत पंचमी पांच फरवरी शनिवार को को मनाई जा रही है। इस दिन ज्ञान और वाणी की देवी मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती हैं। शास्त्र के अनुसार भगवान विष्णु और भगवान महेश के कहने पर ब्रह्मा जी ने मां सरस्वती को इसी दिन प्रकट किया था। वसंत पंचमी सरस्वती मां के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है। वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा में वर दे वीणा वादिनी कविता को प्रार्थना के तौर पर गाया जाता है जिसे मशहूर कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने लिखा था।

इस साल कोरोना गाइडलाइन के कारण पूजा पंडाल के आसपास मेले का आयोजन नही हुआ और गांव की अपेक्षा शहरों में भक्त और श्रद्धालु पिछले साल की अपेक्षा पर कम निकले।


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