योग यात्रा भ्रमण पर हरिद्वार पहुंचा छात्राओं व शिक्षिकाओं का दल

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हरिद्वार, 31 दिसंबर (हि.स.)। वैदिक सिद्धान्तों को लेकर श्रद्धानन्द वैदिक शोध संस्थान ने अद्भुत लेखन कार्य किया हुआ है। मैं जिस शोधकार्य का दर्शन करना चाहती थी, वह मुझे स्वामी श्रद्धानन्द महाराज की तपस्थली गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय हरिद्वार के शोध संस्थान में एक ही स्थान पर उपलब्ध हो गया। यहां के अध्यापकों द्वारा वैदिक विषयक लेखन कार्य अद्भुत एवं कल्पनातीत है। यह बात ममता धीमान ने कही।
कन्या गुरुकुल देहरादून से योग विभाग की छात्राएं तथा वहां की शिक्षिकाएं योग यात्रा पर हरिद्वार भ्रमण के लिए आई हैं। उन्होंने हरिद्वार के अनेक योग विषयक स्थानों को देखा और बाद में वेदों में योग विद्या को जानने के लिये गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय का परिभ्रमण करते हुए गुरुकुल के संस्थापक के नाम से स्थापित श्रद्धानन्द वैदिक शोध संस्थान का भी अवलोकन किया।
विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि प्रो. रूप किशोर शास्त्री ने कहा कि योग एक प्राचीन भारतीय प्रथा है, जो शारीरिक मुद्राओं, श्वसन विधियों और ध्यान को जोड़ती है। नियमित योगाभ्यास हमारे समग्र स्वास्थ्य, शक्ति को बढ़ाता है और हमारे मन को शांत करने में मदद करता है। आधुनिक समय में महिलाएं अपने करियर और परिवार दोनों की जिम्मेदारी उठा रही हैं। इसलिए, जीवन के सभी पहलुओं को संतुलित करने में सक्षम होने के लिए और अपने उपर कार्य का अधिक बोझ होने पर भी शांत रहने के लिए योगाभ्यास आवश्यक हो जाता है।
कन्या गुरुकुल की को-आर्डिनेटर प्रो. श्यामलता जुयाल ने कहा कि योग किसी के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है, जो महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है। संस्थान के अध्यक्ष प्रो. सत्यदेव निगमालंकार ने वेद विषय पर किये जा रहे भावी कार्यों को समझाया और शोधकार्य करने की दिशा पर भी प्रकाश डाला। कन्या गुरुकुल देहरादून की योग विभाग की असिस्टेण्ट प्रोफेसर डा.. संयोगिता ने संस्थान में हो रहे शोध कार्यों को बहुत सराहा। इस अवसर पर दीपिका आर्या, नीलाक्षी, स्नोवी, तनीषा, अंकिता, मुस्कान, मनिता, अंजलि, भावना निषाद, डोली, पूर्णिमा, रजनी, पूजा आदि उपस्थित रहे।


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