मुख्यमंत्री नीतीश ने श्रीबाबू के आधुनिक बिहार को आगे बढ़ाया : ललन सिंह

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जदयू के 15 साल बेमिसाल कार्यक्रम का आयोजन



पटना, 24 नवंबर (हि.स.)। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 15 वर्ष के शासन पूर्ण होने पर जदयू उनकी उपलब्धी राज्य के 38 जिलों में गिना रही है। जदयू ने बिहार में ‘15 साल बेमिसाल’ कार्यक्रम का आयोजन किया। राजधानी पटना स्थित जदयू कार्यालय में भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा सहित कई नेता मौजूद रहे।

राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने इस मौके पर कहा कि 24 नवंबर, 2005 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पदभार लिया। उस वक्त विरासत में कई नकारात्मक चीजें मिलीं। लोग घृणा से बिहार को देखते थे। बिहार में न बिजली थी, न सड़क। अपराधियों का बोलबाला था। वर्ष 1990 से 2005 की जो सरकार रही उसने बिहार को ध्वस्त करने का काम किया।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उस चुनौती को स्वीकार किया और काम किया। सरकार ने न्याय के साथ विकास किया और श्रीबाबू ने जिस आधुनिक बिहार का निर्माण किया उसे नीतीश कुमार ने आगे बढ़ाया। समाज के हर तबके के साथ न्याय हुआ।

लालू यादव के शासनकाल में बजट का 99 प्रतिशत पॉकेट में जाता था, एक प्रतिशत खजाना में। अब 100 प्रतिशत सरकार के खजाने में, यही कारण है कि विकास हुआ है। लालू जी राज में वे अलग-अलग जात का सम्मेलन करवाते थे। लोगों को बांटने का काम करते थे। नीतीश ने सभी को पहचान दी और अति पिछड़ा वर्ग समूह बनाया। इसके अलावा देखा जाये तो 10 लाख से अधिक लोगों को रोजगार नीतीश सरकार ने दिया। पशुपालन में देश में नीतीश जी को अवार्ड मिला और लालू के समय में तो चारा ही खा गये थे।

उन्होंने कहा कि लालू के समय में अपहरण उद्योग चलता था। अब बिहार में दूसरे राज्य से भी उद्यमी उद्योग लगाने आ रहे हैं। लालू के सिर के ऊपर से सामाजिक परिवर्तन निकल जाता है और अब परिवर्तन हो रहा है।

एक नजर नीतीश सरकार के 15 साल पर

वर्ष 2004-05 में बिहार में गरीबी रेखा से नीचे 54.4 प्रतिशत आबादी थी। अब यह घटकर 33.74 प्रतिशत हो गया है। इस तरह से इसमें 20.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। बिहार के ग्रामीण इलाकों में लोगों का मासिक व्यय 2005 में जहां 417 रुपये मात्र था वहीं वर्तमान में यह 1,127 रुपये हो गया है। इस तरह से मासिक व्यय में 710 रुपये की वृद्धि हुई है। बिहार के शहरी लोगों का मासिक खर्चा 2005 में 696 रुपये था जो वर्तमान में बढ़कर 1,507 हो गया है। इस तरह से 811 रुपये लोग ज्यादा खर्च कर रहे हैं।

इज ऑफ डूइंग बिजनेस में भी बिहार में लगातार सुधार किया है। 2015 में बिहार का स्कोर 16.4 प्रतिशत थी, वर्तमान में बढ़कर 81.91 हो गया है। इस तरह से 65.5 की वृद्धि हुई है। प्रति व्यक्ति आय 2005 में जहां 8,773 रुपये थी वहीं यह बढ़कर 2019 में 47,541 हो गया। इस तरह से बिहार में लोगों का प्रति व्यक्ति आय 38,768 रुपये बढ़ी है।

बिहार में कोरोना महामारी ने विकास की रफ्तार रोकी लेकिन चल रहे विकास कार्यों को जिस तरीके से जगह मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल पाई। अब सवाल उठ रहा है कि जो काम किया गया, उसको बताने में सरकार और जदयू जितना उत्साहित है, उतने ही बड़े सवाल सरकार और जदयू के सामने खड़े हैं।

नीतीश कुमार ने योजनाओं के नाम पर बहुत कुछ किया। बात अगर शिक्षा व्यवस्था की करें तो हुनर और तालिमी मरकज जैसी व्यवस्था बिहार को दी गई। लड़कियों के लिए पोशाक योजना, साइकिल योजना, सेनेटरी नैपकिन योजना, समाज में कुरीतियों को खत्म करने के लिए दहेज बंदी की योजना, शराबबंदी का कानून, आम लोगों को सुविधाएं पहुंचाने के लिए हर घर नल का जल योजना, हर घर बिजली योजना, सात निश्चय पार्ट वन, सात निश्चय पार्ट 2 शुरू किया गया। सवाल फिर भी वही खड़ा है कि बिहार बदला कितना।

कितनी बार और कब से कब तक सीएम रहे नीतीश कुमार

3 मार्च, 2000 से 10 मार्च, 2000 तक

24 नवंबर, 2005 से 24 नवंबर, 2010 तक

26 नवंबर, 2010 से 17 मई, 2014 तक

22 फरवरी, 2015 से 19 नवंबर, 2015 तक

20 नवंबर, 2015 से 26 जुलाई, 2017 तक

27 जुलाई, 2017 से 15 नवंबर, 2020 तक


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