बसपा की सरकार बनी तो ‘संत सुरक्षा आयोग’ का होगा गठन : सतीश चन्द्र

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बसपा नेता सतीश चन्द्र मिश्र ने संतों को कराया भोजन, कृषि कानून वापसी को बताया चुनावी स्टंट



मथुरा, 19 नवम्बर(हि.स.)। वृंदावन में ब्रज रज उत्सव के शुभारंभ पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने 500 संत-महंतों के साथ भोजन कर उनका सम्मान किया था। शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा पर बहुजन समाज पार्टी(बसपा) के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा भी वृंदावन पहुंचे और संतों को भोजन कराकर उनका सम्मान किया।

सतीश चंद्र मिश्रा पत्नी कल्पना के साथ पहुंचे थे। यहां संतों ने तिलक लगाकर उनका स्वागत किया। श्री मिश्रा ने 2022 में बसपा की जीत का दावा करते हुए कहा कि हमारी सरकार बनी तो ‘संत सुरक्षा आयोग’ का गठन होगा। कृषि कानूनों की वापसी को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए इसे चुनावी स्टंट करार दिया।

वृंदावन नगर के श्यामाश्याम धाम में शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा पर संतों के सान्निध्य में पहुंचे बसपा महासचिव सतीशचंद्र मिश्र ने कहा इतने दिनों से कृषि कानूनों को वापस क्यों नहीं लिया गया था? इन कानूनों की वापसी के लिए कई किसानों ने अपनी जान गंवा दी। एक साल से अधिक समय से किसान कृषि कानूनों की वापसी के लिए संघर्ष कर रहे थे।

उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि हो सकता केवल चुनाव के चार महीने के लिए ही ये तीनों कानून वापस लिए गए हों। उन्होंने कहा वे यहां राजनीति करने नहीं आए हैं। हम तो कार्तिक पूर्णिमा पर विप्रों, धर्माचार्यों और संतों का आशीर्वाद लेने और ठा. बांकेबिहारीजी का पूजन करने के लिए आए हैं। कहा जब 2007 में हम सत्ता में आए तो वृंदावन की हालत बदतर थी। परिक्रमा मार्ग की दुर्दशा, जल, सीवर की लाइनें नहीं थीं। हमने साढ़े तीन सौ करोड़ की समग्र विकास योजना दी और सभी व्यवस्थाएं श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों के लिए करवाईं।

कहा कि हमारी सरकार 2022 में आई तो संस्कृत विद्यालयों को मजबूत बनाने के साथ उनकी संख्या में इजाफा करने का काम होगा। सनातन धर्म को बचाने व मजबूत करने का काम करेंगे। संतों, धर्माचार्यों का आशीर्वाद मिला तो आयोग तो छोटी बात है, मंदिरों की सुरक्षा, देखरेख, पूजा-पाठ करने वाले वेदपाठियों, पुजारियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी हम बखूबी उठाएंगे।

कहा, आज कुछ दल अकेले श्रीराम की बात करते हैं। जबकि हम कहते हैं राम को सीता से अलग क्यों कर दिया गया, उन्हें श्रीराम के साथ सीताजी को भी याद रखना चाहिए। इसके साथ ही मिश्र ने कार्यक्रम में मौजूद संतों, धर्माचार्यों का शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया और फिर संतों संग जमीन पर बैठकर भोजन किया। इस दौरान संत भी गदगद नजर आए।


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