पद्म पुरस्कारों के चयन में आई पारदर्शिता, विजेता बोले केन्द्र सरकार ने दिया कलाकारों को सम्मान
नई दिल्ली, 10 नवंबर (हि.स.)। पद्म विभूषण से सम्मानित सुदर्शन साहू ने सोमवार को कहा कि केन्द्र सरकार ने पद्म पुरस्कारों के चयन में न केवल पारदर्शिता बरती है बल्कि सच्चे कलाकारों को तलाश कर उन्हें सम्मानित करने का काम भी किया है। कई सालों के बाद कला के शिल्पकारों को सम्मानित किया गया है। पहले ऐसा नहीं हुआ करता था।
बेजान पत्थरों को उकेरकर पौराणिक कथाओं को सजीव सी दिखने वाली मूर्तियां गढ़ने में महारत हासिल सुदर्शन ने हिन्दुस्थान समाचार से खास बातचीत में कहा कि उन्हें 36 साल के इंतजार के बाद पद्म विभूषण सम्मान मिला है। इस सम्मान से आने वाली पीढ़ियां भी प्रेरित होंगी और इस कला को सीखेंगी। सुदर्शन साहू ने ओडिशा सरकार के साथ मिलकर एक आर्ट्स एंड क्राफ्ट कॉलेज स्थापित किया है जहां वे पत्थरों, लकड़ियों और फाइबर ग्लास को जानदार लगने वाली मूर्तियों में बदलने की कला सिखाते हैं।
वहीं, भील शैली के चित्रों के लिए मशहूर भूरीबाई बताती हैं कि उनकी कई सालों की मेहनत का फल सभी के सामने है। उनकी मेहनत को मौजूदा सरकार ने पहचाना और उन्हें पद्मश्री पुरस्कार दिया गया है। पहले ऐसा नहीं हुआ करता था लेकिन इन पुरस्कारों के चयन में काफी पारदर्शिता बरती जाती है। उसी का नतीजा है कि एक मजदूर से कलाकार बनीं महिला को भी पद्मश्री जैसे अवार्ड से नवाजा गया है। इसके लिए सभी का आभार व्यक्त करती हूं।
बता दें कि भूरी देवी पहली भील महिला हैं जिन्होंने कागज और कैनवास पर अपने अनुभवों और जातीय स्मृतियों को दर्ज किया है। 52 वर्षीय भूरीबाई ने भारत भवन में मजदूरी से शुरुआत की और प्रसिद्ध कलाकार जे स्वामीनाथन के कहने पर कागज पर चित्रों को उकेरना शुरू किया।
वे बताती हैं कि मजदूरी से कला का सफर काफी संघर्ष भरा रहा है। इसलिए चाहती हैं कि आने वाली पीढ़ी के लिए यह इतना मुश्किल न हो। इसलिए मैं इस कला को आगे बढ़ाना चाहती हूं।