परिवार प्रबोधन कार्यक्रम में संघ प्रमुख भागवत ने दिए कुटुंब के लिए छह मंत्र

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हल्द्वानी, 11 अक्टूबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा मोहन भागवत उत्तराखंड के दौरे पर हैं। रविवार को हल्द्वानी प्रवास के दूसरे दिन उन्होंने परिवार प्रबोधन कार्यक्रम पर अपना संबोधन देते हुए कुटुंब के लिए छह मंत्र दिए। उन्होंने कहा कि भाषा, भोजन, भजन, भ्रमण, भूषा और भवन के जरिये अपनी जड़ों से जुड़े रहना ही सार्थक जीवन है। उन्होंने कहा कि जैसे यहां पर परिवार प्रबोधन हो रहा है, उसी तरह सप्ताह में सभी परिवार कुटुंब प्रबोधन करें। इसमें एक दिन परिवार के सभी लोग एक साथ भोजन ग्रहण करें, इसमें अपनी परंपराओं, रीति रिवाजों की जानकारी दें। फिर आपस में चर्चा करें और एक मत बनाएं और उस पर कार्य करें।

हल्द्वानी के आम्रपाली संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में संघ प्रमुख ने कहा कि कहा कि परिवार को घर के रूप में नहीं बल्कि मानवता की इकाई पर देखने की जरूरत है। मानवता को निभाना ही परिवार का अहम हिस्सा है। हमें यह समझना होगा कि हमारा कुटुंब स्वार्थ से बंधा नहीं है बल्कि कुटुंब हमारा आर्थिक सहयोगी है। उन्होंने कहा कि कैसे जीना चाहिए, ये सिखाने वाले घटक कुटुंब है। प्राण जाये तो भी कुटुंब नहीं छोड़ना है। उन्होंने कहा कि विदेशों में भी भारतीय कुटुंब का सम्मान किया जाता है। सम्पूर्ण कुटुंब कैसा हो इसका उदाहरण हमें ही पेश करना है।

मोहन भागवत ने कहा कि अपनी पहचान के कभी कतराना नहीं चाहिए। भले समाज और दुनिया में हमें आगे बढ़ना हो लेकिन घर की चौखट के भीतर अपनी भाषा बोली जाये, तो बेहतर। कोई अन्य भाषा सीखने का चलन भी बढ़ना चाहिए। हमें पर्व-त्यौहार पर अपनी परंपरागत वेशभूषा में रहना चाहिये। अपनी अच्छे बातों पर गर्व करते हुए हमेशा सकारात्मक रुख रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में 800 प्रकार के भोजन हैं, इनका सेवन करें। उत्तराखंड के कई प्रकार के भोजन हैं, उनका सेवन करना चाहिए। कभी-कभार बाहर का भोजन तो ठीक है, लेकिन सामान्य तौर पर अपनी आबोहवा के अनुकूल भोजन ग्रहण करें।

वहीं, पर्यटन पर भागवत ने कहा कि मनुष्य जितना भ्रमण करता है उतनी उसकी जानकारी बढ़ती है। अर्थात जितना देशाटन करेंगे उतनी चतुराई प्राप्त होगी। साथ ही विभिन्न क्षेत्र की परम्पराओं और वहां के रीति रिवाज के भी आप अवगत होते हैं। भागवत ने कहा कि पूरी दुनिया देखनी चाहिए, लेकिन काशी, चित्तौड़गढ़ से लेकर हल्दीघाटी, जलियांवाला बाग भी देखना चाहिए। अपने घर के अंदर महात्मा गांधी, भगत सिंह, डॉ. आंबेडकर, वीर सावरकर आदि के चित्र लगाने चाहिए। घर पर वेलकम शब्द क्यों? सुस्वागत क्यों नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि रामायण में कुटुंब की कहानी है, इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। कुटुंब बनेगा तो उससे समाज बनेगा। इससे सोया हुआ राष्ट्र जागेगा और भारत विश्व गुरु बनेगा।

बतादें कि अपने प्रवास के तीसरे दिन सोमवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत पूरे प्रांत के लगभग सवा सौ प्रचारकों के साथ बैठक करेंगे। इसके अलावा उनके तीन दिन के हल्द्वानी प्रवास के दौरान व्यवस्था में लगे लोगों के साथ परिचर्चा का कार्यक्रम भी रखा गया है।


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