कानपुर, 28 सितम्बर (हि.स.)। वायरल हो रहे वीडियो में आईएएस इफ्तिखारुद्दीन धर्म गुरुओं के साथ इस्लाम का पाठ अपने आवास पर पढ़ा रहे हैं। इसकी सच्चाई कहां तक सही है, यह तो एसआईटी की जांच रिपोर्ट से ही पता चल पाएगा। लेकिन कानपुर के तत्कालीन मंडलायुक्त इफ्तिखारुद्दीन को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं तेज हो गई हैं। इसके साथ ही मंगलवार को दो महिलाएं मीडिया के सामने आईं और आरोप लगाया कि फरियाद लेकर उनके कार्यालय पहुंचने के दौरान धर्मांतरण का दबाव बनाया गया था। लालच दिया गया था कि धर्मांतरण करने पर आपकी जमीन मिल जाएगी।
गौरतलब है कि, सपा सरकार में कानपुर में बतौर मंडलायुक्त के पद पर तैनात रहे सीनियर आईएएस इफ्तिखारुद्दीन का एक वीडियो सोमवार को वायरल हो गया। वीडियो में दावा किया जा रहा है कि मंडलायुक्त धर्म गुरुओं के साथ अपने सरकारी आवास पर बैठक कर रहे हैं और स्वयं इस्लाम धर्म का पाठ पढ़ा रहे हैं। इस दौरान कुछ वक्ता भी इस्लाम धर्म का बखान कर रहे हैं और अन्य धर्मों की खामियों को गिना रहे हैं।
देश की सबसे प्रतिष्ठित नौकरी के पद पर रहते इफ्तिखारुद्दीन के इस कारनामें से कानपुर ही नहीं देश भर की जनता नाखुश है। हालांकि वायरल वीडियो की सच्चाई आना अभी बाकी है, लेकिन मामला अतिगंभीर होने के चलते शासन ने एसआईटी का गठन कर सात दिनों के अंदर जांच रिपोर्ट मांगी है।
धर्मांतरण कराने का लगा आरोप
वायरल वीडियो को अगर सही मान लिया जाए तो लोगों के अनुसार इफ्तिखारुद्दीन ने नियमों की अनदेखी की है। सरकारी आवास पर इस तरह की धार्मिक बैठक नहीं होनी चाहिये और मंडलायुक्त जो भी कुछ इस्लाम धर्म के बढ़ावा देने के लिए कह रहे हैं, वह पूरी तरह से गलत है। वायरल वीडियो को लेकर मंगलवार को कल्याणपुर की दो महिलाओं ने आरोप लगाया कि फरियाद लेकर जब उनके कार्यालय में गईं थी तो उस दौरान उनके कार्यालय के कुछ लोगों ने धर्मांतरण का दबाव बनाया। इसके साथ ही लालच दिया गया कि अगर इस्लाम धर्म कबूल कर लेंगी तो आपकी जमीन का निपटारा करा दिया जाएगा। महिलाओं का आरोप है कि जब धर्मांतरण की बात अस्वीकार कर दी तो मंडलायुक्त की ओर से कोई सुनवाई नहीं हुई।
फरियादियों को देते थे पुस्तकें
कल्याणपुर के रॉबी शर्मा ने आरोप लगाया कि कानपुर में मंडलायुक्त रहने के दौरान मेट्रो के डीपीआर में मो. इफ्तिखारुद्दीन ने गलत तरीके से लोगों की जमीन शामिल करवा दी। जब पीड़ित उनसे मिलने पहुंचे, तो उन लोगों को भगा दिया था। बाद में तत्कालीन कमिश्नर के कुछ लोगों ने मौके पर आकर मो. इफ्तिखारुद्दीन की लिखी एक किताब दी और इस्लाम धर्म अपनाकर जमीन वापस मिलने का लालच दिया था। बताया जा रहा है कि वह इस्लाम धर्म को लेकर इस कदर संजीदा थे कि रमजान के दौरान जब वह रोजा रखते थे तो कर्मचारियों को भी दिनभर कुछ नहीं खाने देते थे। ऐसे में कर्मचारियों को भी मजबूरी में भूखा रहना पड़ता था।