जातीय जनगणना के सवाल पर राजग छोड़ने का सवाल नहीं : नीतीश कुमार

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पटना/नई दिल्ली, 26 सितंबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना के मुद्दे पर राजग छोड़ने के प्रश्न को आधारहीन बताया है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस बारे में सवाल पूछने का कोई तुक नहीं है।

जातीय जनगणना के मसले पर भाजपा के विरोधियों के साथ खड़े मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजग छोड़ने के सवाल पर बड़ा बयान दिया है। सीएम नीतीश नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक में शामिल होने दिल्ली पहुंचे हैं। इसी दौरान नीतीश कुमार से जब जातीय जनगणना को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने दोटूक शब्दों में कहा कि जातीय जनगणना की बात बिहार में सभी राजनीतिक दल कर रहे हैं और इसे केंद्र सरकार को पूरा करना चाहिए।

नीतीश कुमार से यह पूछा गया कि क्या जातीय जनगणना नहीं होने की स्थिति में वह राजग या भाजपा का साथ छोड़ देंगे। मुख्यमंत्री ने दोटूक शब्दों में कहा कि यह सवाल पूछने का अभी कोई तुक नहीं है। जातीय जनगणना नहीं होने की स्थिति में वह तमाम दलों के साथ मिल बैठकर चर्चा करेंगे और बातचीत के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी। हालांकि नीतीश कुमार ने इस बात को सिरे से खारिज नहीं किया कि वह राजग का साथ छोड़ सकते हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अमित शाह द्वारा बुलाई गई बैठक से निकलने के बाद सीएम नीतीश ने कहा कि जातीय जनगणना की मांग बिलकुल उचित है। इसका तर्क भी है। इससे लोगों को लाभ मिलने वाला है। आज़ादी के पहले भी देश में जातिगत जनगणना हुई और आज़ादी के बाद भी हुई थी। जातीय जनगणना होने के बाद ही लोगों की वास्तविक स्थिति की जानकारी मिल पाएगी। पिछड़ों और अति-पिछड़ों को समाज में आगे बढ़ाने में भी जातीय जनगणना काफी मददगार साबित होगी।

नीतीश कुमार ने कहा कि 2011 में तत्कालीन संप्रग सरकार के मुखिया डॉ.मनमोहन सिंह के कार्यकाल में जो जनगणना कराई थी, वो जातीय जनगणना नहीं बल्कि सामाजिक-आर्थिक जातीय जनगणना थी। दोनों में काफी अंतर है। जातीय जनगणना के अलावा सरकार ने सामाजिक-आर्थिक जनगणना कराई थी, जो कि उस समय ठीक से नहीं हो पाया था। उसका प्रकाशन भी नहीं हो सका था।

सीएम ने बताया कि ऐसा कहा जा रहा है कि 2011 में हुई जनगणना में कुछ गड़बड़ियां हुईं थीं। जब लोगों से उनकी जाति के बारे में पूछा गया था तो कइयों ने अपनी उपजाति बता दी थी। ऐसे में जरूरत थी उपजाति को जाति से जोड़ने की, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।अगर यही काम सही ढंग से किया जाए तो आंकड़े बिलकुल सही आएंगे। इसके लिए कर्मचारियों को सही तरीके से ट्रेनिंग दिलवानी जरूरी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर कोई ऐसा कहता है कि 2011 में हुई सामाजिक-आर्थिक जनगणना के परिणाम के आधार पर जातीय जनगणना नहीं हो सकती तो यह उचित नहीं है। सीएम नीतीश ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि इस मसले पर ठीक से विचार करने के बाद जातीय जनगणना कराएं। जहां तक बात राज्य आधार पर जातीय जनगणना कराने की है तो इस मसले पर सर्वदलीय बैठक बुलाई जाएगी। उसमें जो निर्णय होगा, सरकार वैसा ही करेगी। जातीय जनगणना की मांग केवल बिहार ही नहीं, बल्कि देश के कई अन्य राज्यों द्वारा भी की जा रही है।ऐसे में जातीय जनगणना हो तो इससे देश के विकास में और सहायता मिलेगी।


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