नेचुरल गैस की कीमत में तेजी से रसोई गैस पर दबाव, फिर बढ़ सकती है कीमत

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नई दिल्ली, 25 सितंबर (हि.स.)। त्योहारों का मौसम शुरू होने के पहले ही देश में एक बार फिर रसोई गैस (एलपीजी) की कीमत में तेजी आने के आसार बन गए हैं। रसोई गैस के सिलेंडर की कीमत में बढ़ोतरी होने के साथ ही घरों में पाइप लाइन के जरिए सप्लाई होने वाली पीएनजी की कीमत बढ़ने की भी आशंका बन गई है।

पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमत से परेशान होकर अपनी गाड़ी में ईंधन के रूप में सीएनजी का इस्तेमाल करने वाले लोगों की परेशानी भी बढ़ सकती है। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में नेचुरल गैस की कीमत में पिछले कुछ दिनों के दौरान काफी इजाफा हो गया है। इसकी वजह से एलपीजी, पीएनजी और सीएनजी हर तरह की गैस की कीमत में बढ़ोतरी करने का सरकारी गैस और ऑयल मार्केटिंग कंपनियों पर दबाव बन गया है।

2021 के दौरान दुनिया भर में नेचुरल गैस के उत्पादन में काफी कमी आई है। विशेष रूप से पिछले दो महीने के दौरान नेचुरल गैस का उत्पादन काफी घट गया है। आलम ये है कि जुलाई महीने की तुलना में सितंबर में नेचुरल गैस के उत्पादन में लगभग 46 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में नेचुरल गैस की कीमत में पिछले 9 महीनों के दौरान यानी इस साल के दौरान अभी तक लगभग 132 फीसदी तक का इजाफा हो गया है।

नेचुरल गैस की कीमत में हुई इस जोरदार बढ़ोतरी के कारण भारत में भी रसोई गैस समेत हर तरह के ईंधन के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली गैस की कीमत पर दबाव बढ़ने लगा है। इस साल लगातार नेचुरल गैस की कीमत में हुई बढ़ोतरी की वजह से अभी तक घरेलू इस्तेमाल वाली रसोई गैस की कीमत में आठ बार बदलाव किया जा चुका है। इस बदलाव में सात बार घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत में बढ़ोतरी की गई है जबकि एक बार कीमत घटाई भी गई है। रसोई गैस की कीमत में हुए इस बदलाव के कारण इस साल अभी तक घरेलू रसोई गैस सिलेंडर की कीमत में राजधानी दिल्ली में 190.50 रुपये तक का इजाफा हो चुका है।

इस साल 1 जनवरी को 14.2 किलोग्राम वाले घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत राजधानी दिल्ली में 694 रुपये थी। 4 फरवरी को सिलेंडर की कीमत में 25 रुपये का इजाफा कर दिया गया, जिससे सिलेंडर की कीमत 719 रुपये हो गई। इसके बाद 15 फरवरी को एलपीजी सिलेंडर 50 रुपये महंगा होकर 769 रुपये के स्तर पर पहुंच गया। फरवरी में ही सिलेंडर एक बार फिर 25 फरवरी को 25 रुपये महंगा होकर 794 रुपये के स्तर पर पहुंच गया। इसके चार दिन बाद ही 1 मार्च को सिलेंडर की कीमत में 25 रुपये की और बढ़ोतरी की गई, जिससे यह 819 रुपये के स्तर पर पहुंच गया।

मार्च के बाद दो महीने तक कीमत में कोई बदलाव नहीं किया गया। दो महीना पूरा होने के बाद 1 मई को सिलेंडर की कीमत में 10 रुपये की कटौती कर इसे 809 रुपये के स्तर पर ले आया गया। 2021 में हुई इस इकलौती कटौती के दो महीने बाद 1 जुलाई को एलपीजी सिलेंडर के भाव में 25.50 रुपये की बढ़ोतरी कर इसकी कीमत 834.50 रुपये कर दी गई। करीब डेढ़ महीने बाद कीमत में एक बार फिर 18 अगस्त को 25 रुपये की बढ़ोतरी की गई, जिससे सिलेंडर महंगा होकर 859.50 रुपये का हो गया। इस साल का अभी तक का आखिरी बदलाव 1 सितंबर को हुआ, जब एक बार फिर सिलेंडर की कीमत में 25 रुपये का इजाफा कर इसकी कीमत को 884.50 रुपये के स्तर पर पहुंचा दिया गया।

उल्लेखनीय है कि देश में इस समय करीब 29 करोड़ लोगों के पास एलपीजी कनेक्शन है। इनमें से आठ करोड़ उपभोक्ताओं को उज्जवला योजना के तहत एलपीजी गैस कनेक्शन दिया गया है। जानकारों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगातार नेचुरल गैस के उत्पादन में आई कमी के कारण जिस तेजी से एलपीजी गैस की कीमत में बढ़ोतरी करने का दबाव बना है, उससे आम उपभोक्ताओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। खास कर वैसे उपभोक्ताओं के लिए एलपीजी गैस का इस्तेमाल करना कठिन हो सकता है, जिन्होंने सब्सिडी छोड़ दिया है। हालांकि सरकारी गैस और ऑयल कंपनियों ने साफ कर दिया है कि जब तक नेचुरल गैस की कीमत एक निश्चित दायरे में रहेगी, तक तक एलपीजी, पीएनजी या सीएनजी की कीमत में मनमाने ढंग से बढ़ोतरी नहीं की जाएगी।


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