मुफ्त टीकाकरण के जाल में फंसे निजी अस्पताल, 432 करोड़ के टीके के एक्सपायर होने का खतरा

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नई दिल्ली, 25 सितंबर (हि.स.)। कोरोना संक्रमण के बाद शुरू हुए टीकाकरण अभियान की बढ़ती गति की वजह से हेल्थ सेक्टर की कई निजी कंपनियों के सामने परेशानी की स्थिति बन गई है। इस टीकाकरण अभियान में भारत सरकार ने सरकारी स्तर पर टीकाकरण करने के साथ ही निजी अस्पतालों के जरिए भी टीकाकरण कराने की छूट दी थी, लेकिन यही छूट अब निजी अस्पतालों के लिए जी का जंजाल बन गई है और उनकी करोड़ों रुपये की पूंजी फंस गई है।

बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार द्वारा देशभर में मुफ्त टीकाकरण कराने का ऐलान करने के बाद से अब निजी अस्पतालों के स्टॉक में पड़े कोरोना के टीके का बड़ा हिस्सा बिना उपयोग के ही पड़ा हुआ है। इससे न केवल इन टीकों के एक्सपायर होकर बरबाद होने का खतरा बन गया है, बल्कि निजी अस्पतालों का भी काफी पैसा फंस गया है। जानकारों के मुताबिक पूरे देश में निजी अस्पतालों के स्टॉक में अभी करीब 432 करोड़ रुपये के कोरोना के टीकों का स्टॉक पड़ा है, जिनके उपयोग नहीं होने की स्थिति में एक्सपायर होकर बेकार हो जाने की आशंका जताई जा रही है।

दिल्ली के एक प्रमुख निजी अस्पताल के मार्केटिंग विभाग के अधिकारी के मुताबिक टीकाकरण अभियान में निजी अस्पतालों को शामिल करने की इजाजत मिलने के बाद कई अस्पतालों ने टीका का बड़ा स्टॉक इकट्ठा कर लिया था। शुरुआती दौर में जब टीके की किल्लत बनी हुई थी, तब बड़ी संख्या में लोगों ने भीड़-भाड़ से बचने के इरादे से निजी अस्पतालों में जाकर सरकार द्वारा तय बाजार भाव का भुगतान करके टीका लगाया भी था, लेकिन बाद में कोरोना के टीके की उपलब्धता सहज हो जाने और देशभर में एक समान तरीके से मुफ्त टीकाकरण कराने के केंद्र सरकार के एलान के बाद निजी अस्पतालों में जाकर टीका लगाने वालों की संख्या काफी कम हो गई।

बताया जा रहा है कि मुफ्त टीकाकरण अभियान शुरू होने की वजह से निजी अस्पतालों के पास कोरोना के टीके का करीब 25 फीसदी स्टॉक बिना इस्तेमाल के ही पड़ा रह गया है। अस्पतालों को अब इस स्टॉक को एक्सपायर होने के पहले खत्म करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। ओपी रल्हन चैरिटेबल हॉस्पिटल चेन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ श्याम प्रकाश रल्हन का कहना है कि अस्पताल के पास पड़े कोरोना के टीकों के स्टॉक को क्लियर करने के लिए अब मरीजों से बिना सर्विस चार्ज लिए ही टीका लगाने का ऑफर देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, ताकि टीके की खरीद की वजह से होने वाले नुकसान की कुछ हद तक भरपाई की जा सके।

अस्पतालों की ओर से कहा जा रहा है कि जब तक केंद्र सरकार ने देशभर में मुफ्त टीकाकरण करने का ऐलान नहीं किया था, तब तक कई लोग सरकारी टीका केंद्रों पर जाकर भीड़ भाड़ का सामना करने से बचने के लिए निजी अस्पतालों में भी काफी संख्या में आ रहे थे। भीड़ भाड़ के अलावा टीके की अनुपलब्धता के कारण भी काफी संख्या में लोग निजी अस्पतालों का रुख कर रहे थे, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह से बदल गई है। सरकारी टीकाकरण केंद्रों की संख्या भी बढ़ गई है और कोरोना के टीकों की उपलब्धता भी बढ़ गई है। जिसकी वजह से निजी अस्पतालों के पास पड़ा टीकों का स्टॉक फंस गया है। इससे इन अस्पतालों के सामने घाटा का सामना करने की चुनौती तो बन ही गई है, जीवनरक्षक कोरोना के टीकों के बरबाद होने का खतरा भी बन गया है।


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