हक्कानी और बरादर के बीच झड़प के पीछे आईएसआई और सत्ता में हनक की लड़ाई

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काबुल, 19 सितंबर (हि.स.)। अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा और अमेरिका की पूर्ण वापसी के बाद वहां सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर हक्कानी और तालिबान के बीच राष्ट्रपति महल में हुई झड़प के पीछे आईएसआई का हाथ माना जा रहा है। हालांकि इस झड़प में मुल्ला बरादर के मारे जाने की खबर सामने आई थी जिसके बाद बरादर ने आडियो जारी कर अपनी सलामती की जानकारी दी थी।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका और सहयोगियों को मुल्ला बरादर के रूप तालिबान के अंदर उदारवादी चेहरे की उम्मीद थी जो बरादर को दरकिनार के साथ ही खत्म हो गई है। मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को तालिबान समूह का सार्वजनिक चेहरा माना जाता है, जो हमेशा से ही अमेरिका के साथ शांतिवार्ता करने के पक्ष में रहा है।

जानकारी के अनुसार राष्ट्रपति महल में तालिबान कैबिनेट गठन की बैठक में हक्कानी नेटवर्क के नेता ने मुल्ला बरादर पर हमला किया था। बरादर ने एक समावेशी कैबिनेट पर जोर दिया था जिसमें गैर-तालिबान नेता और जातीय अल्पसंख्यक शामिल किया जाना था। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि बैठक में खलील उर्र रहमान हक्कानी अपनी कुर्सी से खड़ा हुआ और उसने बरादर को एक मुक्का मार दिया। इसके बाद हक्कानी और तालिबान नेता के बॉडीगार्ड हॉल में आ गए और एक-दूसरे पर गोलीबारी करने लगे। इसमें कुछ मारे गए और कुछ बुरी तरह घायल हो गए। हालांकि बीते एक हफ्ते से तालिबान के सदस्य ऐसी किसी भी घटना से इनकार करते रहे हैं। इसी बीच, बरादर जान बचाकर काबुल से कंधार आ गया, जो तालिबान का बेस है। यहां उसने सुप्रीम लीडर हैबतुल्लाह अखुंदजादा को पूरी घटना की जानकारी दी।

अमेरिका की आतंकी सूची में शामिल सिराजुद्दीन हक्कानी को कार्यवाहक गृहमंत्री और बरादर को उप प्रधानमंत्री बनाया गया है। तालिबान और हक्कानी नेटवर्क को 2016 में मिला दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक, आईएसआई चीफ उस समय काबुल में मौजूद था और बरादर के मुकाबले हक्कानी का समर्थन कर रहा था।बरादर ने आठ साल पाकिस्तान की जेल में काटे हैं, बाद में ट्रंप सरकार के दौर में शांति वार्ता शुरू होने पर उसे रिहा कर दिया गया। आईएसआई ने बरादर के बजाय मुल्ला मोहम्मद हसन को पीएम पद के लिए चुना गया, क्योंकि उसके इस्लामाबाद से अच्छे रिश्ते हैं और हक्कानी नेटवर्क को उससे कोई खतरा नहीं है।


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