सेना ने बेंगलुरु की कंपनी से खरीदी 600 मल्टी रोल थर्मल इमेजिंग दूरबीन

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पुलवामा हमले के बाद 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक में किया गया था इस्तेमाल

 पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर निगरानी कार्यों के लिए लगाई गई है यही दूरबीन



नई दिल्ली, 17 सितम्बर (हि.स.)। भारतीय सेना ने विशेष बलों के लिए बेंगलुरु की टोंबो इमेजिंग कंपनी से 600 मल्टी रोल थर्मल इमेजिंग दूरबीन की खरीद आपातकालीन फंड से की है। कंपनी के उत्पादों का इस्तेमाल कई देश कर रहे हैं जिनमें इज़राइल और फ्रांस भी शामिल हैं। पिछले कुछ वर्षों से भारतीय सशस्त्र बल भी इनका उपयोग कर रहे हैं। पुलवामा हमले के बाद 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान स्पेशल फोर्स के जवानों ने इसी भारतीय फर्म से खरीदे गए थर्मल साइट्स का इस्तेमाल किया था। कुछ उत्पाद निगरानी कार्यों के लिए चल रहे लद्दाख गतिरोध के दौरान वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात हैं।

यह कंपनी दो दर्जन से अधिक देशों में बहु मिशन दृष्टि के लिए दूरबीन समेत अन्य हथियार प्रणालियों का निर्यात करती है। इसकी बहु-मिशन दूरबीन वजन में काफी हल्की हैं और नजदीकी मुकाबले के लिए अधिक ट्यून की गई हैं। इस उत्पाद की विशिष्टता यह है कि इसे एक ही समय में हेलमेट और हथियार पर लगाया जा सकता है। लगभग 300 ग्राम वजन की दूरबीन बटन के क्लिक के साथ हेलमेट से हटकर तुरंत हथियार पर लग सकती है। टोंबो इमेजिंग ऐसे सिस्टम बनाने वाली दुनिया की कुछ कंपनियों में से एक है। उनके कुछ उत्पाद निगरानी कार्यों के लिए चल रहे लद्दाख गतिरोध के दौरान वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात हैं।

लगभग एक दशक पहले नाटो के साथ संयुक्त अभ्यास के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों ने इस कंपनी से खरीद शुरू की गई थी क्योंकि अमेरिकी सेना उन हथियारों का इस्तेमाल कर रही थी जिन पर टोनबो सिस्टम लगा हुआ था। सेना ने आपातकालीन खरीद के तहत 600 मल्टी रोल थर्मल इमेजिंग दूरबीन खरीदने का ऑर्डर बेंगलुरु की टोंबो इमेजिंग कंपनी को दिया है, ताकि शहरी युद्ध और सीमाओं पर काम करने वाली अपनी कुछ विशिष्ट इकाइयों की मदद की जा सके। कंपनी के साथ किया गया दूसरा अनुबंध बहु मिशन-दृष्टि के लिए है, जिसे हेलमेट और हथियार पर भी लगाया जा सकता है।

सूत्रों ने यह भी कहा कि यह अनुबंध 100 करोड़ रुपये से अधिक का है और यह खरीद सेना मुख्यालय का इन्फैंट्री निदेशालय कर रहा है, जबकि पहले उत्तरी कमान ने छोटे बैचों में अपने सैनिकों के लिए खरीद की थी। अगर इसकी आपूर्ति एक साल के भीतर समय से हो जाती है तो उसके बाद एक बड़ा खरीद आदेश दिया जा सकता है। कंपनी का कहना है कि भारतीय सेना ने जब इस कंपनी से खरीद शुरू की थी तो उसके पहले पांच देश हमारी तकनीक खरीद रहे थे। कंपनी ने 2012 के आसपास वैश्विक बाजार पर ध्यान केंद्रित किया। अमेरिकी कंपनी डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी के साथ काम करने से उन्हें अमेरिकी बाजार में अपने उत्पादों को जल्दी पहचान दिलाने में मदद मिली।


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