तालिबान का पहला फरमान- सह शिक्षा का कोई औचित्य नहीं, इसे खत्म करना जरूरी

0

काबुल, 21 अगस्त (हि.स.)। अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद तालिबान ने अपना पहला फरमान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि विश्वविद्यालयों में लड़कियों को लड़कों के साथ बैठने के अनुमति नहीं दी जाएगी। यानी सह-शिक्षा की व्यवस्था को समाप्त कर दिया जाएगा। विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्राध्यापकों और निजी संस्थानों के मालिकों के साथ करीब तीन घंटे की बैठक के बाद तालिबान की ओर से कहा गया है कि सह शिक्षा का कोई औचित्य नहीं है। इसे खत्म करना जरूरी है।

बैठक में तालिबान का प्रतिनिधित्व करने वाले मुल्ला फरीद ने बताया कि सह-शिक्षा को समाप्त किया जाना चाहिए क्योंकि व्यवस्था समाज में सभी बुराइयों की जड़ है। फरीद ने एक विकल्प के रूप में सुझाव दिया कि महिला प्राध्यापक या बुजुर्ग पुरुष जो विषय विशेषज्ञ हैं, उन्हें महिला छात्रों को पढ़ाने की अनुमति है। सह-शिक्षा के लिए न तो कोई विकल्प है और न ही कोई औचित्य।

बैठक में हेरात प्रांत से आने वाले प्राध्यापकों ने तर्क दिया कि सरकारी विश्वविद्यालय और अन्य शिक्षण संस्थान अलग-अलग कक्षाओं का प्रबंधन कर सकते हैं, लेकिन निजी संस्थानों में छात्राओं की सीमित संख्या के कारण अलग-अलग कक्षाएं संचालित नहीं की जा सकतीं। प्राध्यापकों ने कहा कि चूंकि निजी संस्थान अलग-अलग कक्षाओं का खर्च नहीं उठा सकते हैं, इसलिए हजारों लड़कियां उच्च शिक्षा से वंचित रह सकती हैं। हेरात प्रांत में निजी एवं सरकारी विश्वविद्यालयों और संस्थानों में लगभग 40 हजार छात्र और 2,000 प्राध्यापक हैं।

उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान में सह-शिक्षा और अलग-अलग कक्षाओं की मिश्रित प्रणाली है, जिसमें अलग-अलग कक्षाएं संचालित करने वाले स्कूल और कॉलेज हैं। जबकि देशभर के सरकारी एवं निजी विश्वविद्यालयों और संस्थानों में सह-शिक्षा की व्यवस्था है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *