नई दिल्ली, 16 अगस्त (हि.स.)। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) में राज्य मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा ने सोमवार को हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर खादी प्रदर्शनी सह बिक्री स्टाल का उद्घाटन किया। निजामुद्दीन के अलावा नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भी एक खादी स्टॉल लगाया है जिसे ग्राहकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। 15 अगस्त को इस आउटलेट पर 25 हजार रुपये से अधिक के खादी उत्पाद बेचे गए।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने स्वाधीनता के 75 वर्ष का जश्न मनाने के लिये देश के 75 प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर खादी उत्पादों की प्रदर्शनी और बिक्री के स्टॉल लगाये हैं। ये सभी स्टॉल अगले एक वर्ष तक यानी 2022 के स्वतंत्रता दिवस तक चलते रहेंगे। “आजादी का अमृत महोत्सव” के तहत केवीआईसी ने यह पहल की है।
निजामुद्दीन स्टेशन पर स्टाल के दौरे के दौरान मंत्री ने केवीआईसी के अधिकारियों को खादी उत्पादों की रेंज और मूल्य सूची को प्रमुखता से प्रदर्शित करने का निर्देश दिया ताकि रेलवे स्टेशन पर आने वाले यात्रियों को आकर्षित किया जा सके। उन्होंने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इससे खादी को अपने उपभोक्ता आधार में नए ग्राहक जोड़ने में मदद मिलेगी और खादी कारीगरों को अपने उत्पादों को बढ़ावा देने और बेचने के लिए एक बड़ा विपणन मंच मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि 75 रेलवे स्टेशनों में नई दिल्ली, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस मुम्बई, नागपुर, जयपुर, अहमदाबाद, सूरत, अम्बाला कैंट, ग्वालियर, भोपाल, पटना, आगरा, लखनऊ, हावड़ा, बेंगलुरू, एर्नाकुलम और अन्य रेलवे स्टेशन शामिल हैं। स्टेशनों के इन स्टॉलों पर खादी और ग्रामीण उद्योगों के उत्पाद, जैसे कपड़े, सिले-सिलाये कपड़े, खादी प्रसाधन, खाद्य-पदार्थ, शहद, मिट्टी के पात्र आदि उपलब्ध हैं। इस प्रदर्शनी और बिक्री स्टॉलों के जरिये देश के तमाम रेल-यात्रियों को स्थानीय खादी उत्पादों को खरीदने का मौका मिलेगा, खासतौर से सफर के दौरान रास्ते में पड़ने वाले इलाके या राज्य के अपने उत्पादों को। इस पहल से खादी के कारीगरों को अपने उत्पादों को बढ़ावा देने और उन्हें बेचने का बड़ा मंच मिलेगा।
केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि रेलवे और केवीआईसी के इस संयुक्त प्रयास से खादी के कारीगरों को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा, “इन 75 रेलवे स्टेशनों के खादी स्टॉलों के प्रति बड़ी संख्या में खरीदार आकर्षित होंगे और इस तरह खादी उत्पादों की विस्तृत किस्मों को लोकप्रिय बनाने में मदद मिलेगी। इसके जरिये न सिर्फ “स्वदेशी” की भावना को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि सरकार की “वोकल फॉर लोकल” पहल को भी आधार मिलेगा।