बिहार में चल रहा है देश का दूसरा पायलट प्रोजेक्ट, गोबर से बनेगा गैस और खाद

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बेगूसराय, 09 अगस्त (हि.स.)।अब तक सुनते आ रहे थे की आम के आम और गुठलियों के दाम। लेकिन किसानों-पशुपालकों की आय में वृद्धि के लिए लगातार काम कर रही नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने इसे साबित कर दिखाया है। किसान अपने जानवर के गोबर से बायोगैस बनाकर घर में खाना बनाएंगे, बल्ब जलाएंगे और इससे बचे अपशिष्ट से खाद बनाया जाएगा।

इसके लिए देश का दूसरा पायलट प्रोजेक्ट बिहार के बेगूसराय जिला में चल रहा है। नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) के सहयोग से इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की बरौनी रिफाइनरी, बरौनी डेयरी के द्वारा संचालित दुग्ध समिति के माध्यम से बायोगैस प्लांट लगवा रही है। इस पर बरौनी रिफाइनरी का करीब एक करोड़ 20 लाख रुपया खर्च हो रहा है। पूरी तरह से प्रयोग सफल रहा तो यह देश भर के पशुपालकों के सामने एक उदाहरण बनेगा।

इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत बछवाड़ा दुग्ध उत्पादक समिति से जुड़े 50 किसानों के यहां बायोगैस प्लांट लगाया जाना है, जिसमें से सात का उद्घाटन पिछले महीने हो चुका है तथा 11 बायो गैस प्लांट का काम समाप्त होने पर है। 50 बायोगैस प्लांट लग जाने के बाद सभी 50 घरों में गोबर से तैयार किए गए गैस खाना बनाना एवं ऊर्जा की जरूरत पूरी की जाएगी। इससे बचे अपशिष्ट से जैविक खाद बनाया जाएगा, इसके लिए बरौनी डेयरी खाद कारखाना बनवा रही है। नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के तकनीकी सहयोग से बरौनी डेयरी परिसर में नवंबर माह तक खाद कारखाना बनाकर तैयार किए जाने का प्रोजेक्ट चल रहा है।

इसमें गोबर के अवशिष्ट से प्रोन, माइक्रोन्यट्रिएंट्स एवं रूट गार्ड समेत 25 तरह की जैविक खाद बनाए जाएंगे। यह जैविक खाद जैविक कॉरिडोर में शामिल बेगूसराय में जहर मुक्त सब्जी एवं फसल उत्पादन में सहायक साबित होगा। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड का लक्ष्य है कि मेरी गाय-मेरा खेत-मेरा खाद के लक्ष्य को हासिल करने के लिए गांव-गांव में बायोगैस संयंत्र स्थापित किए जाएं। इससे पशुपालक किसान परिवार में खाना बनाने के ईधन की समस्या नहीं होगी और लोगों को धुंए से मुक्ति मिलने के साथ-साथ बचे हुए कचरा का भी डेयरी द्वारा उचित दाम दे दिया जाएगा, इससे किसान परिवार में समृद्धि आएगी।

बरौनी रिफाइनरी प्रमुख-सह-कार्यपालक निदेशक शुक्ला मिस्त्री ने बताया कि यह खाद प्रबंधन परियोजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी सोच और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की देन है। इनके प्रबल सोच और दूदर्शिता से बिहार में पहली बार इस परियोजना को मूर्त रूप मिला है। सपना था कि बिहार की ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए एक बड़ा कदम उठाया जाए और यहां के गांव में बायोगैस प्लांट लगाए जाएं। जिससे किसानों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी बल मिले।

बरौनी रिफायनरी नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड तथा बरौनी डेयरी को एक साथ मिलाकर कितने प्रयासों से इस परियोजना को साकार किया गया है। जो कि बिहार में विकास और महिला सशक्तिकरण की एक नई लहर लाएंगे। बनाया जा रहा 50 बायोगैस प्लांट 50 महिला लाभार्थियों को सौपा जाएगा, जिससे उनकी आय बढ़ेगी और समृद्धि आएगी। महिला सशक्तिकरण का यह बेहतरीन आयाम होगा। इस परियोजना से उत्पादित बायोगैस किसानों द्वारा खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन के रूप में उपयोग किया जाएगा। साथ ही इससे उत्पन्न बायो सलरी (अवशिष्ट) को खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे किसानों की खेती लागत में कमी आएगी। इसकी बिक्री से किसानों को अतिरिक्त आय भी प्राप्त होगी और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होगा। इस परियोजना पर एक करोड़ से अधिक खर्च होने का अनुमान है, जिसे बरौनी रिफाइनरी द्वारा प्रायोजित किया जा रहा है। परियोजना स्थापित करने में नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड, बरौनी रिफाइनरी और बरौनी डेयरी साथ मिलकर कार्य कर रही हैं। आशा है कि यह सबल प्रयास गांव में विकास की एक नई लहर लाएगा। यह योजना महिलाओं को सशक्त बनाने में और अन्य महिलाओं को स्वावलंबी बनने के लिए प्रेरित करने में मील का पत्थर साबित होगी।


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