नई दिल्ली, 31 मई (हि.स.) । श्रीलंका के कोलंबो मध्य में सिंगापुर के कंटेनर जहाज एमवी एक्स-प्रेस पर्ल में लगी आग को बुझाने में भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) को काफी हद तक कामयाबी मिली है । आग को जहाज के आधे हिस्से तक सीमित कर दिया गया है । पांच दिनों से श्रीलंका ई नौसेना के साथ 24 घंटे चल रहे इस ऑपरेशन को ’सागर आरक्षा - 2 ’ नाम दिया गया है जो भारत और श्रीलंका के बीच बढ़ते सामुद्रिक सहयोग का प्रतीक है ।
इस पोत पर 15 मई को भारत के हजीरा बंदरगाह से लोड किये गए 25 टन नाइट्रिक एसिड और अन्य रसायनों सहित 1,486 कंटेनर लदे हैं जिनसे समुद्र में तेल का रिसाव होने की आशंका है। वापस अपने मुल्क जाते समय कोलंबो बंदरगाह से लगभग 9 समुद्री मील की दूरी पर खराब मौसम के कारण कुछ कंटेनर समुद्र में गिरकर बह गए। कई कंटेनर ढहकर जहाज पर ही गिर पड़े और उनमें एक विस्फोट के बाद आग लग गई । इस पर भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) ने अपने जहाज ‘वैभव’ और ‘वज्र’ को आग बुझाने के लिए कोलंबो भेजे थे । बाद में आईसीजी ने अपने विशेष प्रदूषण प्रतिक्रिया (पीआर) जहाज समुद्र प्रहरी को भी भेजा ताकि तेल के रिसाव की स्थिति होने पर निपटा जा सके ।
वर्तमान में तीन आईसीजी जहाज और श्रीलंका ई नौसेना के चार टग्स इस अभियान में शामिल हैं । सिंगापुर के जलते जहाज पर भारी-भरकम बाहरी अग्निशमन प्रणाली के माध्यम से फोम समाधान एवं समुद्री जल का लगातार छिड़काव किया जा रहा है। 24 घंटे चल रहे संयुक्त प्रयासों के सकारात्मक नतीजे मिल रहे हैं एवं आग पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है। जहाज से उठ रहा धुआं भी अब कम हुआ है और आग को पोत के पिछले हिस्से तक सीमित कर दिया गया है। आईसीजी के जहाज ‘वैभव’ और ‘वज्र’ अपनी अग्निशमन क्षमताओं के अलावा तेल रिसाव से निपटने के लिए पर्याप्त प्रदूषण प्रतिक्रिया (पीआर) क्षमताओं से भी लैस हैं।
इसके अलावा स्थिति के हवाई आकलन के लिए मदुरै से प्रतिदिन आईसीजी डोर्नियर विमानों की उड़ानें जारी हैं। जहाजों और विमानों की रिपोर्टों से पता चलता है कि अभी जहाज से तेल का रिसाव नहीं हुआ है। इसके अलावा सावधानीपूर्वक आग बुझाने के प्रयासों के चलते पोत के ट्रिम और ड्राफ्ट में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है जिससे पता चलता है कि पोत की स्थिर है। आईसीजी के जहाज और श्रीलंकाई टग निरंतर जहाज़ की परिधि को ठंडा कर रहे हैं। साथ ही जलते हुए पोत पर श्रीलंकाई हेलीकॉप्टर डीसीपी बैग गिरा रहे हैं। आईसीजी ने प्रदूषण प्रतिक्रिया की दिशा में तत्काल सहायता के लिए कोच्चि, चेन्नई और तूतीकोरिन में अपने संसाधन भी स्टैंडबाय पर रखे हैं।