नई दिल्ली, 25 मार्च (हि.स.)। भारतीय सेना की पैराशूट ब्रिगेड पहली बार सार्वजनिक तौर पर अपनी परिचालन कौशल का प्रदर्शन करेगी, वह भी किसी विदेशी अतिथि के सामने। पैराशूट ब्रिगेड की क्षमता का प्रदर्शन 27 मार्च को दक्षिण कोरियाई रक्षा मंत्री सुह वूक के सामने आगरा छावनी में होगा। आगरा के पैरा फील्ड एम्बुलेंस हॉस्पिटल का उनका दौरा इसलिए ख़ास है, क्योंकि इसी यूनिट ने 70 साल पहले कोरियाई युद्ध में घायल सैनिकों का उपचार किया था। वह दक्षिण कोरिया की तरफ से भारतीय सेना को औपचारिक रूप से धन्यवाद देने के लिए आगरा स्थित पैरा-ब्रिगेड हेडक्वार्टर जायेंगे।
दरअसल, उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच 1950-53 में हुए युद्ध के समय भारतीय सेना ने अपनी एक मोबाइल मिलिट्री एंबुलेंस प्लाटून एशिया के सुदूर-पूर्व में युद्ध के मैदान में भेजी थी। युद्ध के दौरान घायल हुए उत्तर और दक्षिण कोरिया के सैनिकों का उपचार 70 साल पहले भारतीय सेना की इसी प्लाटून एंबुलेंस ने किया था। यह फील्ड एंबुलेंस इन दिनों आगरा में तैनात रहती है। अब जब भी कोई नया कोरियाई राजदूत भारत पहुंचता है तो वह इस यूनिट में एक बार अवश्य जाता है। इसी क्रम में भारत यात्रा पर आये रक्षा मंत्री सुह वूक दक्षिण कोरिया की तरफ से भारतीय सेना को औपचारिक रूप से धन्यवाद देने के लिए आगरा में भारतीय सेना के पैरा-ब्रिगेड हेडक्वार्टर स्थित 60 पैरा फील्ड एंबुलेंस (हॉस्पिटल) का दौरा करेंगे।
इस दौरान सेना की पैरा-ब्रिगेड कोरियाई रक्षा मंत्री की मौजूदगी में पैरा-जंप सहित अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगी। यह एक बटालियन के आकार का प्रदर्शन होगा, जिसमें सैन्य टुकड़ी अपने भारी उपकरणों के साथ भाग लेगी, जिसमें पैदल सेना के लड़ाकू वाहन और तोपखाने बंदूकें शामिल हैं। इसमें ऐसी विशेष इकाइयों के लिए पैरा फील्ड एम्बुलेंस और अन्य सहायक यूनिट भी होंगी। भारतीय सेना की एयर-बॉर्न फोर्स को रणनीतिक लक्ष्यों को गुप्त तरीके से हासिल करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। उनके परिचालन प्रशिक्षण और कौशल के बारे में जानकारियां गोपनीय रहती हैं। इसलिए यह पहला मौका है, जब उनके परिचालन कौशल का प्रदर्शन सार्वजानिक तौर पर होगा।
भारत ने निभाई थी तटस्थ भूमिका
कोरियाई प्रायद्वीप में हुए इस युद्ध में चीन और अमेरिका सहित कई देशों ने हिस्सा लिया था। यह देश या तो उत्तर कोरिया का साथ दे रहे थे या फिर दक्षिण कोरिया का लेकिन तटस्थ भूमिका निभाते हुए भारतीय सेना की इस प्लाटून एंबुलेंस ने युद्ध के मैदान में दोनों देशों के घायल सैनिकों का इलाज किया था। इस दौरान भारत के तीन सैनिकों की जान भी चली गई थी और 23 जवान घायल भी हुए थे। करीब तीन साल चले युद्ध के समय भारत की यह प्लाटून वहीं डटी रही। इसके लिए इस प्लाटून के कमांडर, लेफ्टिनेंट कर्नल एजी रंगराज को भारत ने महावीर चक्र से नवाजा था। कोरियाई युद्ध के 70 साल पूरे होने पर दक्षिण कोरिया ने भी पिछले साल लेफ्टिनेंट कर्नल रंगराज को वॉर-हीरो का खिताब दिया था।