दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा “चौरी-चौरा आन्दोलन” विषय पर व्याख्यान का आयोजन

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नई दिल्ली, 12 फरवरी: दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा दिनांक 11 फरवरी 2021 को “चौरी चौरा आन्दोलन” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. रामशरण गौड़ की अध्यक्षता में आयोजित किया गया तथा वक्ता के रूप में श्री रमेश चंद शर्मा, गाँधी चिन्तक एवं विचारक उपस्थित रहे। राष्ट्रपिता गाँधी जी की प्रतिमा को पुष्प अर्पण कर दीप प्रज्जवलन तथा सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।

 

डॉ. रामशरण गौड़ द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित वक्ता एवं श्रोता गणों का स्वागत कर व्याख्यान के विषय से सभी को परिचित कराया गया। उन्होंने बताया कि 4 फरवरी 1922 का दिन इतिहास में ब्रिटिश कालीन भारत के गोरखपुर जिले के चौरी चौरा गाँव में हुए आन्दोलन के नाम पर दर्ज है जब असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाले प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा समूह पुलिस के साथ भिड़ गया था। असहयोग आन्दोलन गाँधी जी के नेतृत्व में गुलामी के विरुद्ध, मानवता हित तथा देश कल्याण हेतु चलाया गया था परन्तु चौरी चौरा आन्दोलन में हुई मानव जीवन की क्षति के बाद गाँधी जी द्वारा असहयोग आन्दोलन की तत्काल समाप्ति की घोषणा कर दी गई। उन्होंने चौरी चौरा आन्दोलन को देशभक्ति का आन्दोलन बताया।

 

श्री रमेश चंद्र शर्मा ने अपने बाल्यकाल के कुछ स्मरण श्रणों को याद करते हुए दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी का अपने जीवन के समग्र विकास में योगदान को सभागार में उपस्थित गणमान्य जनों एवं श्रोताओं से साझा करते हुए अपने वक्तव्य को प्रारंभ किया। व्याख्यान की विषय वस्तु रखते हुए उन्होंने बताया कि चौरी और चौरा दो गांव थे जो सन् 1857 की क्रांति के बाद तत्कालीन रेलवे द्वारा एक रेलवे स्टेशन के रूप में जोड़ दिए गए थे। उन्होंने तत्कालीन सामाजिक परिदृश्य को बड़ी सरलता एवं गंभीरता से श्रोताओं के सम्मुख रखते हुए बताया कि अंग्रेजी सरकार की यातनाओं को सहते हुए सम्पूर्ण राष्ट्र में क्रांति का वन उपज चुका था। देश के कोने-कोने में अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध विद्रोह उमड़ रहा था। उसी समय गाँधी जी द्वारा असहयोग आन्दोलन की घोषणा की गयी। जिसके बाद चौरी चौरा में असहयोग आन्दोलन के प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा समूह 4 फरवरी 1922 को तत्कालीन ब्रिटिश पुलिस से भिड़ गया। इस घटना में कई पुलिसकर्मियों तथा स्थानीय नागरिकों की मृत्यु हो गयी, कई आरोपियों को उम्र कैद तथा फांसी की सजा दी गयी। गाँधी जी जोकि अहिंसा प्रेमी थे वह इस घटना से काफी आहत हुए। वे निर्दोष लोगों के लहू में सनी हुई स्वतंत्रता नहीं चाहते थे इसलिए विरोध के बाद भी उनके द्वारा चौरी चौरा आंदोलन के तुरंत बाद असहयोग आंदोलन को वापिस ले लिया गया। श्री रमेश चंद्र शर्मा ने कहा कि सत्ता का प्रमुख कार्य जनता की सेवा है परन्तु इसके विपरीत चौरी चौरा आन्दोलन के बाद नागरिकों का दमन जैसे कि लूट-पाट, संपत्ति पर जबरन कब्जा, निर्दोषों को कारावास, न्यायालय को अपने हिसाब से चलाना आदि घटनाएं बढ़ गयीं। उन्होंने बताया कि चौरी चौरा आन्दोलन से हमें लोकमत का सम्मान, कष्ट सहने की समता, स्वदेशी की भावना, सहनशीलता, अहिंसा का पाठ जैसे आदर्श सीखने को मिलते हैं।

 

व्याख्यान के पश्चात वक्ता द्वारा श्रोताओं के प्रश्नों का उत्तर दिया गया।

 

अंत में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के उप-निदेशक (प्रशासन) श्री महेश कुमार अरोड़ा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन तत्पश्चात राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।

 


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