तीन बार के विधायक रहे सलिल विश्नोई को भाजपा ने बनाया एमएलसी उम्मीदवार.

0

पिछले विधानसभा चुनाव में सपा के अमिताभ बाजपेयी ने दी थी पटखनी



कानपुर, 16 जनवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की 12 विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) सीटों में हो रहे चुनाव के लिए शनिवार को भाजपा ने छह और उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। इनमें कानपुर से तीन बार के विधायक रहे सलिल विश्नोई पर भी पार्टी ने भरोसा जताया है। विश्नोई वर्तमान समय में पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं और संगठन में बराबर सक्रिय हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि बेहतर कार्य करने पर पार्टी ने उन्हें आगामी विधान सभा चुनाव से पहले इनाम दिया है।
विधान परिषद चुनावों के लिए भाजपा ने शनिवार को दूसरी सूची जारी की, इसमें भाजपा ने सलिल विश्नोई के अलावा कुंवर मानवेंद्र सिंह, गोविंद नारायण शुक्ल, अश्विनी त्यागी, डॉ. धर्मवीर प्रजापति, सुरेंद्र चौधरी को टिकट दिया है। अगर इनमें कानपुर के सलिल विश्नोई की बात करें तो विधानसभा चुनाव हारने के बाद संगठन में पूरी तरह से सक्रिय हैं और टिकट मिलने पर इनाम के रुप में देखा जा रहा है। यही नहीं उनकी जीत भी तय मानी जा रही है, हालांकि सलिल को एमएलसी टिकट मिलने के बाद इस बात के कयास जोर पकड़ रहे हैं कि क्या पार्टी आर्यनगर विधानसभा में इस बार बदलाव कर सकती है।
वहीं कुछ विश्लेषकों का कहना है कि एमएलसी बनने से सलिल आर्यनगर में और मजबूत होकर उभर सकते हैं। पार्टी कानपुर में संगठन के प्रति उनके कार्यों को देखते हुए पिछले 18 वर्षों से उन्हें लगातार कोई ना कोई दायित्व देता चला आ रहा है। विधान परिषद की टिकट फाइनल होने के बाद सलिल विश्नोई ने कहा कि वह पार्टी के सिपाही हैं और पार्टी जहां चाहे उनका उपयोग कर सकती है।
 
सपा के अमिताभ बाजपेयी ने दी थी मात
बचपन से संघ में जुड़े रहे सलिल विश्नोई को भारतीय जनता पार्टी ने 2002 में जनरलगंज विधान सभा सीट से उम्मीदवार बनाया। इस सीट पर भाजपा के दिग्गज नेता नीरज चतुर्वेदी लगातार तीन बार विधायक रहे। पार्टी ने चतुर्वेदी का टिकट काटते हुए युवा सलिल विश्नोई पर भरोसा जताया और विश्नोई ने चुनाव जीतकर पार्टी को निराश नहीं किया। इसके बाद विश्नोई राजनीति में पीछे मुड़कर नहीं देखा और दूसरी बार 2007 में भी इसी सीट से जीत दर्ज की। 2012 में परिसीमन के चलते जनरलगंज सीट खत्म हो गयी तो सलिल विश्नोई ने आर्यनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और लगातार तीसरी बार विधायक बने।
2017 में भी पार्टी ने विश्नोई पर भरोसा जताया, पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबी अमिताभ बाजपेयी ने मोदी लहर के बावजूद उन्हे पटखनी दे दी। हार के बाद भी विश्नोई पार्टी में सक्रिय रहे तो पार्टी ने प्रदेश महामंत्री की जिम्मेदारी सौंप दी। 2018 में राज्य सभा चुनाव में उनका नाम सामने आया और नामांकन भी कराया, लेकिन समीकरण न बनते देख नाम वापस कर लिया। इसके बाद पार्टी ने प्रदेश में संगठन की कमान स्वतंत्र देव सिंह को सौंपी तो उनकी टीम में विश्नोई का ओहदा बढ़ गया और प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली।

 


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *