अमरूद ही नहीं, उसकी पत्तियों में भी है इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ कई रोगों से छुटकारा दिलाने की क्षमता

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आयुर्वेदाचार्य ने कहा, तासीर ठंडा होने के बावजूद सर्दी व जुकाम में फायदेमंद है अमरूद की पत्तियांपाचन क्रिया के लिए रामबाण माना जाता है अमरूद का सेवन, आंवले के बाद सर्वाधिक विटामिन सी होता है अमरूद में



लखनऊ, 29 दिसम्बर(हि.स.)। बाजार में भरपुर मात्रा में उपलब्ध अमरूद तमाम रोगों में लाभकारी है। इसी कारण इसे आयुर्वेद में अमृत फल कहा गया है। अमरूद के साथ ही इसकी पत्तियों में भी विटामिन सी और एंटी आक्सीडेंट्स की मात्रा भरपुर पाये जाते हैं। अमरूद या उसकी पत्तियां हृदय रोग, टाटप-2 डायबिटिज, पेट दर्द में बहुत लाभ पहुंचाता है। अमरूद के पत्तों की चाय पीने से सर्दी जुकाम में तो फायदा मिलता ही है, शुगर की मात्रा भी 10 प्रतिशत तक कम होती है।

बीएचयू के पंचकर्म विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर जेपी सिंह ने बताया कि 100 ग्राम अमरूद में कार्बोंहाइड्रेंट 14.32 ग्राम, शर्करा- 8.92 ग्राम, आहार रेश 5.4 ग्राम, ऊर्जा 68 किलो कैलोरी, प्रोटीन 2.55 ग्राम, विटामिन ए तीन प्रतिशत, बीटा कैरोटीन तीन प्रतिशत, थायमिन पांच प्रतिशत, रिबोफ्लेविन तीन प्रतिशत, नायसिन (विटामिन बी-3) सात प्रतिशत, पैंटोथेनिक अम्ल (विटामिन बी-5) नौ प्रतिशत, फोलेट (विटामिन बी-9) 12 प्रतिशत, विटामिन सी 228.3 मिलीग्राम, विटामिन के दो प्रतिशत, कैल्शियम 18 मिग्रा, लौह दो प्रतिशत,  मैग्नेशियम 22 मिग्रा, मैगनिज .15 मिग्रा, फास्फोरस 40 मिग्रा, पोटेशियम 417 मिग्रा, सोडियम दो मिग्रा मिलता है। उन्होंने हिन्दुस्थान समाचार से वार्ता में कहा कि वे अधिकांश तत्व इसमें पाये जाते हैं, जो मनुष्य को स्वास्थ्य ठीक रखने में सहायक हैं। इसके सेवन से व्यक्ति को निरोग रहने में मदद मिलती है।

जेपी सिंह ने बताया कि इसके पत्तों के सेवन से जुकाम खांसी से आराम मिलता है। अमरूद और उसके पत्ते शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने में सहायक हैं। यदि पेचिश हुआ हो तो उसकी जड़ को जल में पकाकर दिन में दो-तीन बार पीने से काफी फायदा पहुंचता है। इसके कोमल पत्तों का काढ़ा हैजा की स्थिति में लाभदायक होता है। पत्तों को पीसकर उसका रस चीनी में मिलाकर पीने से बदहजमी दूर होती है। उन्होंने कहा कि अमरूद की पत्तियां डीएलडी कोलेस्टेरॉल जिसे बैड कोलेस्टेरॉल भी कहते हैं को घटाती हैं और गुड कोलेस्टेरॉल (एचडीएल कोलेस्टेरॉल) को बढ़ाती हैं।

उन्होंने बताया कि अमरूद की प्रकृति शीतल है।यह पित्त को कम करता है। स्वादिष्ट अमरूद भूख ही नहीं, वीर्य वर्धक भी होता है। इसके सेवन से पुराने से पुराने कब्ज को राहत मिलती है। पेट में जलन होने की स्थिति में अमरूद का सेवन ठंडक प्रदान करता है। इसके नियमित सेवन से आंतों के कीड़ों से छुटकारा मिलता है। रक्त की शुद्धता के लिहाज़ से भी अमरूद बेहद फ़ायदेमंद होता है।  यह दांत रोग में भी फायदेमंद होता है। इसके पत्तियों को चबाने से दांतों के कीड़ा और दांतों से संबंधित रोग दूर होते है।

डॉ. सिंह ने बताया कि अमरूद में पाया जाने वाला पालीसैकराइड तत्व टाईप दो डायबिटीज को कम करने में मदद करता है। वहीं पत्ते के अर्क में भी एंटी-हाइपरग्लिसमिक प्रभाव पाये जाते हैं, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इसमें लाइकोपिन नामक तत्व पाये जाने के कारण यह प्रोटेस्ट कैंसर का जोखिम कम करने में सहायक है।


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