सीएम को हथियार सौंपकर मुख्यधारा में लौटे 64 उग्रवादी

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 मुख्यमंत्री ने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने का उग्रवादियों से किया आग्रह



गुवाहाटी, 21 दिसम्बर (हि.स.)। असम राज्य को उग्रवाद मुक्त बनाने और राज्य में स्थायी शांति कायम करने के सरकार के अभियान के तहत चार उग्रवादी संगठनों के 64 उग्रवादी सोमवार को मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के सामने हथियार डालकर देश की मुख्य धारा में शामिल हो गए।

राजधानी के पांजाबारी स्थित श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में आयोजित एक समारोह में सभी 64 उग्रवादियों ने अपने हथियार डाल दिये। समर्पण करने वालों में यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) इंडिपेंडेट (आई) के 18 कैडरों में स्वयंभू-डिप्टी कमांडर-इन-चीफ दृष्टि राजखोवा, पीपुल्स डेमोक्रेटिक काउंसिल ऑफ कार्बी लोंगरी (पीडीसीके) के स्वयंभू-डिप्टी कमांडर-इन-चीफ ओंग तेरोन, यूनाइटेड पीपुल्स रिवोल्यूशनरी फ्रंट (यूपीआरएफ) के 32 कैडर और डिमसा नेशनल लिबरेशन आर्मी (डीएनएलए) के 13 कैडर शामिल हैं।

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री सोनोवाल ने आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों का मुख्यधारा में स्वागत करते हुए कहा, “शांति के बिना प्रगति कभी नहीं हो सकती। नफरत से भरे दिल के साथ कोई भी शांति से नहीं रह सकता। समाज और परिवार को आगे बढ़ाने के लिए, जिन्होंने हिंसा का रास्ता अपनाया, उन्हें मुख्यधारा में शामिल होना चाहिए और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देना चाहिए।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने हथियार डाले हैं, उन्हें अब भाईचारे और दोस्ती को बढ़ावा देने और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “टीम असम” राष्ट्र के निर्माण की भावना का पालन करते हुए उन्हें हाथ से हाथ मिलाकर काम करने का आह्वान किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर उन उग्रवादियों से भी आग्रह किया, जो अभी भी हिंसा के मार्ग पर चल रहे हैं वे भी शांति और प्रगति के मार्ग में शामिल होकर समाज की भलाई के कार्य में जुट जाएं।

सोनोवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व का लाभ और विश्वास उनका नेतृत्व लोगों को काफी आकर्षित किया है। ज्यादातर उग्रवादी संगठनों को हथियारों के विद्रोह की निरर्थकता का एहसास करते हुए मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने हथियार डालने के बाद मुख्यधारा में आने वाले विद्रोही समूहों के सदस्यों के पुनर्वास के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं। केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के अलावा स्वाबलंबन नामक योजना की मदद से आत्मसमर्पित उग्रवादियों को गरिमा देने के लिए कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पित आतंकवादियों को महत्व देने वाली सरकार ने कदम उठाए हैं ताकि जिन युवाओं ने मुख्यधारा में आने का फैसला किया है, वे सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें। साथ ही उनसे योजनाओं का लाभ लेने का आह्वान किया।

कार्यक्रम में पुलिस महानिरीक्षक (विशेष शाखा) हिरेन नाथ ने स्वागत भाषण दिया। इस मौके पर मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार हृषिकेश गोस्वामी, उनके कानूनी सलाहकार शांतनु भराली, मुख्य सचिव जिष्णु बरुवा, डीजीपी भास्कर ज्योति महंत, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव पबन कुमार बरठाकुर, प्रमुख सचिव गृह नीरज वर्मा, अतिरिक्त डीजीपी हरमीत सिंह, आयुक्त और सचिव (गृह और राजनीतिक) जीडी त्रिपाठी, जीओसी 21 माउंटेन डिवीजन भारतीय सेना के एसपी सिंह, एडीजीपी सीआरपीएफ नॉर्थ ईस्ट जोन संजीव रंजन ओझा, संयुक्त निदेशक एसआईबी रश्मि सिन्हा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी कार्यक्रम में उपस्थित थे। इसके अलावा, चारों उग्रवादी संगठनों के हथियार डालने वाले कैडरों के परिवार के सदस्य, कार्बी आंग्लांग व डिमा हसाउ जिलों के गाँव बूढ़ा और अन्य जिलों के प्रमुख नागरिक उपस्थित थे।

 


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