भारतीय भाषाओं में प्रामाणिक ज्ञान का संग्रह और सृजन आवश्यक: निशंक

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नई दिल्ली, 21 दिसम्बर (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने सोमवार को कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संकल्प को सिद्ध करने के लिए हिंदी सहित विभिन्न भारतीय भाषाओं में प्रामाणिक ज्ञान का संग्रह और सृजन करने की बड़ी आवश्यकता है।

निशंक ने आज यहां वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय की महत्‍वाकांक्षी परियोजना ‘भारतीय अनुवाद संघ’ का शुभारंभ करते हुए कहा कि इसके लिए बहुभाषाविदों, विषय विशेषज्ञों और अनुवादकों के अनेकानेक समूहों को समानांतर रूप में संयोजित करने की जरूरत पड़ेगी।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा,  राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भारत की विभिन्न भाषाओं में स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा के विकल्प तैयार करने का संकल्प लिया है, किंतु यह संकल्प पूरा करने के लिए अथक प्रयत्न करने की आवश्यकता है। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक तैयारी की आवश्यकता है, जिसमें शैक्षणिक संस्थाओं, शिक्षकों, बहु भाषाविदों और अनुवादविदों तथा विशेषज्ञों की बड़ी भूमिका रहने वाली है।

उन्होंने कहा कि इस विषय को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने भारतीय अनुवाद एवं निर्वचन संस्थान की स्थापना का निर्णय लिया है जिसमें बहुभाषाविदों, विषय विशेषज्ञों तथा अनुवाद एवं निर्वचन विशेषज्ञों को जोड़ा जाएगा। अनुवाद एवं निर्वचन के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों को गति देने के लिए प्रौद्योगिकी के अधिकाधिक प्रयोग को भी सुनिश्चित किया जाएगा।

निशंक ने कहा कि भारतीय अनुवाद संघ द्वारा शिक्षा विभाग, भारत सरकार के स्वयं पोर्टल पर विधि, प्रबंधन, कंप्यूटर आदि विभिन्न विद्याशाखाओं के लिए अंग्रेजी में उपलब्ध वीडियो व्याख्यानों एवं पाठों का मराठी में अनुवाद कार्य कराया जा रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारतीय अनुवाद संघ अपने उद्देश्यों की पूर्ति करने में सफल होगा। भारतीय भाषाओं और विदेशी भाषाओं के बीच सेतु-बंधन के द्वारा सहकार संबंध मजबूत होंगे और इससे पारस्परिक साझेदारी और समझदारी बढ़ेगी।

इस अवसर पर महात्मा गांधी अंतराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल, प्रतिकुलपति तथा भारतीय अनुवाद संघ के संयोजक प्रो. हनुमान प्रसाद शुक्ला, प्रतिकुलपति डॉ. एस. चंद्रकांत रागीट, विभिन्न विद्यापीठों के अधिष्ठातागण, विश्वविद्यालय के समस्‍त विभागों व केंद्रों के विभागाध्‍यक्ष व निदेशक एवं शिक्षक, विद्यार्थी, भारतीय अनुवाद संघ के समस्त सदस्य और अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपति भी मौजूद थे।

 


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