सुप्रीम कोर्ट ने राजकोट अस्पताल में अग्निकांड पर गुजरात सरकार से रिपोर्ट मांगी

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कोरोना के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई, कहा- महज दिशा-निर्देश तय करने से काम नहीं चलेगा



नई दिल्ली, 27 नवम्बर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते करते हुए कहा कि महज दिशा-निर्देश तय करने से काम नहीं चलेगा, उन पर अमल सुनिश्चित किया जाना ज़रूरी है। केंद्र इस मामले में आगे बढ़े। ये सुनिश्चित करें कि राज्य सरकार एसओपी का पालन करें। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राजकोट के अस्पताल में हुए अग्निकांड पर संज्ञान लेते हुए गुजरात सरकार से रिपोर्ट तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 1 दिसम्बर को होगी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हम शादी समारोह और राजनीतिक जलसों को देख रहे है। 60 प्रतिशत लोग मास्क नहीं पहन रहे है। ये कोरोना की सेकंड वेव है। आगे हालात और बदतर होंगे। राज्यों को गम्भीरता से कोरोना से संबंधित गाइडलाइंस का पालन कराना सुनिश्चित करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के राजकोट के प्राइवेट अस्पताल के आईसीयू वार्ड में लगी आग से छह लोगों की मौत पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि ये घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। पर ये कोई पहली घटना नहीं है। अस्पताल में आग से बचाव के साधन क्यों नहीं थे। कोर्ट ने कहा कि हम पूरे देश की स्थिति पर संज्ञान ले रहे हैं। इस तरह की घटनाएं स्वीकार्य नहीं हैं। कोर्ट ने केंद्र से भी रिपोर्ट तलब किया।
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना की रोकथाम में राज्यों की लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए कहा कि हम यहां सुनवाई कर रहे हैं और बाहर 80 फीसदी लोग या तो बिना मास्क के घूम रहे हैं या उसे ठोड़ी पर लटका रखा है। बस एसओपी बना दिया गया है। उसके पालन की फिक्र किसी को नहीं है। हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि कोरोना के हालात बिगड़ते जा रहे हैं। केंद्र और राज्य चिंतित ही नहीं लगते हैं। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्यों को और सख्त होना पड़ेगा। देश के 10 राज्यों ने कोरोना के 70 प्रतिशत केस दिए हैं।उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में लगभग 18.9 फीसदी मामले हैं। केरल और दिल्ली जैसे राज्यों में भी स्थिति बुरी है। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप एसओपी रिकार्ड पर रखें। अस्पतालों में आग से सुरक्षा पर जानकारी दें और गुजरात के राजकोट के अग्निकांड पर रिपोर्ट दाखिल करें।
कोर्ट ने 23 नवम्बर को दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र में कोरोना के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई थी। कोर्ट ने सभी राज्यों से कोरोना से निपटने के लिए उठाए गए कदम पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। सुनवाई  के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली और गुजरात में स्थिति बदतर हो गयी है। अगर राज्यों ने अभी पर्याप्त कदम नहीं उठाया तो दिसम्बर में स्थिति और ख़राब हो सकती । ये राज्यों के लिए आत्ममंथन का समय है। कोर्ट ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकारों को कोरोना की रोकथाम के लिए  पर्याप्त कदम उठाने होंगे।

 


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