दिल्ली : विहिप कार्यकर्ता चांदनी चौक के मंदिर को बचाने के लिए कर रहे हनुमान चालीसा का पाठ

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नई दिल्ली, 22 नवम्बर (हि.स.)। दिल्ली के चांदनी चौक स्थित मंदिर को तोड़ने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार का प्रशासनिक अमला आगे की कार्रवाई में जुट गया है। इसके विरोध में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल के कार्यकर्ता शनिवार रात से ही मंदिर परिसर में बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं। करीब 300 लोग वहां पर रात से ही डटे हुए हैं। विहिप का कहना है कि हाईकोर्ट ने मंदिर का पक्ष सुने बिना ही उसको तोड़ने का आदेश पारित कर दिया। हम हिंदू समाज की ओर से राज्य सरकार से अपील करते हैं कि वह फैसले को समय रहते सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे, अन्यथा विहिप खुद आगे आकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।
विहिप दिल्ली प्रांत के अध्यक्ष कपिल खन्ना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर मंदिर को बचाने की अपील की है। खन्ना ने पत्र में लिखा है, “वर्ष 1974 में पीपल के पेड़ के नीचे, मुख्य चांदनी चौक रोड पर, हनुमानजी स्वयंभू प्रकट हुए। भक्तों ने वहां मंदिर बना दिया। वर्ष 1975 में दुर्गाजी एवं शंकरजी का मंदिर पीपल पेड़ के दूसरी तरफ बनाया गया। तब से आज तक किसी ने भी आपत्ति नहीं की। वर्ष 2007 में हाईकोर्ट में रिक्शा साईकिल चालकों के जीवन निर्वाह के लिए एक रिट याचिका दायर की गई। इस याचिका में चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल ने हस्तक्षेप करके इस मंदिर को एक अवैध निर्माण बतलाते हुए इसे तोड़ने की बात कही। हाईकोर्ट ने बिना मंदिर को पार्टी बनाये और मंदिर का पक्ष बिना सुने, इस मंदिर को तोड़ने के आदेश दे दिए।”
पत्र में कहा गया है कि मंदिर के पुजारी को सरकार द्वारा बुलाया गया और बोला गया कि मंदिर फुटपाथ पर बना दिया जाए। पंडितजी फुटपाथ पर मंदिर को स्थानांतरित करने के लिए तैयार हो गए। न तो पंडितजी को केस के बारे में बताया गया और न ही 2019 तक उन्हें दुबारा बुलाया गया। वर्ष 2019 में धार्मिक समिति ने पंडितजी को बुलाया और कहा कि क्या मंदिर किसी अन्य एरिया में ले जाया जा सकता है। पंडितजी ने इससे इनकार कर दिया। धार्मिक समिति ने हाईकोर्ट को लिखा कि मंदिर वहीं पर रहने दिया जाए। जिस आर्किटेक्ट ने 2016 और 2018 में अपने प्लान में मंदिर को वहीं रहने देने की सिफारिश की थी, उसने चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल के दबाव में आकर कहा कि मंदिर हटना चाहिए। कोर्ट ने फैसला कर दिया कि मंदिर हटा दो।
पत्र के मुताबिक दिल्ली सरकार इस फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट गई और सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार इस बारे में हाईकोर्ट में अपनी एप्लीकेशन लगाए और हाईकोर्ट सुनेगी। बीते 31अक्टूबर को पंडितजी के पास मंदिर तोड़ने का नोटिस आया। पहली बार यह मालूम पड़ा कि मंदिर टूटने वाला है, क्योंकि मंदिर या पंडितजी को इसके पहले कभी पार्टी नहीं बनाया गया और मंदिर पक्ष की बात भी नहीं सुनी गई। तीन नवम्बर को मंदिर सेवा समिति ने हाईकोर्ट में अर्जी डाली, जिसे शुक्रवार (20 नवम्बर) को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि दिल्ली सरकार हमारे पास आए।
विहिप दिल्ली प्रांत के प्रचार-प्रसार प्रमुख महेंद्र सिंह रावत ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि इस पत्र की प्रति उप-राज्यपाल और संबधित नगर निगम के महापौर को भी भेजी गई है।

 


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