स्मृति शेषः जिंदादिली से जिंदगी जीना, सिखाते रहे जीना

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सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, खुशमिजाज सुरेंद्र जीना सबके थे चहेते सदन में ठोस होमवर्क करके आते थे, तर्कों-तथ्यों से रहते थे लैस



देहरादून, 12 नवम्बर (हि.स.)। एक खुशमिजाज शख्सियत, जिसे सदन में जिस किसी ने भी देखा, हमेशा मुस्कुराते हुए ही देखा। अपने प्रश्नों पर ठोस होमवर्क और फिर उसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए सब कुछ झोंकने में परहेज नहीं। सुरेंद्र सिंह जीना को सदन में स्पीकर के साथ अपने प्रश्नों के ठोस उत्तर के लिए लोगों ने जिद करते हुए भी देखा, लेकिन पूरी शालीनता के साथ। तीन बार के विधायक सुरेंद्र सिंह जीना भाजपा की उत्तराखंड में दूसरी पंक्ति के ऐसे नेता के रूप में विकसित हो रहे थे, जो पार्टी के लिए आने वाले दिनों में बेहद उपयोगी साबित होते। उनके असामायिक निधन से हर कोई स्तब्ध है। यह भाजपा के लिए बहुत बड़ा झटका है।
सल्ट के विधायक सुरेंद्र सिंह जीना की गिनती भाजपा के उन युवा विधायकों में होती थी, जो हर लिहाज से स्मार्ट थे। अपने सल्ट क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता का यह आलम था कि वह लगातार जीतते आ रहे थे। जीना सदन में अपने क्षेत्र से जुडे़ मसलोें को बेहद प्रभावी ढंग से उठाते थे। तर्क और तथ्यों से लैस होकर सवालों को धारदार तरीके से उठाने के हुनर के कारण जीना ने अपनी खास जगह बना ली थी। ऐसा भी कई बार हुआ, जब उन्होंने अपनी ही सरकार को अपने सवालों से घेर लिया और संबंधित मंत्रियों को जवाब देते हुए असहज होना पड़ा।
जीना को याद करते हुए उनके साथी विधायक महेंद्र भट्ट बताते हैं कि वह बहुत खुशमिजाज थे। हमेशा माहौल को हल्का फुल्का बनाए रखते थे। मिलनसार प्रवृत्ति के थे, इसलिए भाजपा से अलग दूसरे दलों में भी उनके अच्छी खासी संख्या में मित्र थे। पूर्व मंत्री और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी जीना के असामायिक निधन से गमगीन है। उपाध्याय का कहना है कि उत्तराखंड ने एक संभावनाशील नेता खो दिया है। जीना से नजदीक से जुडे़ लोगों का कहना है कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में जिंदादिली को प्राथमिकता दी। वह सभी लोगों से कहा करते थे कि हंसी-खुशी दिन गुजारना सबसे बड़ी बात है। यही सबसे बड़ी दौलत है।

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