सुप्रीम कोर्ट का दिल्ली सरकार के आदेश पर हाईकोर्ट से लगी रोक हटाने से इनकार

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निजी अस्पतालों को आईसीयू में 80 प्रतिशत बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित रखने का मामला



नई दिल्ली, 10 नवम्बर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के निजी अस्पतालों को अपने आईसीयू में 80 प्रतिशत बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित रखने के दिल्ली सरकार के आदेश पर हाई कोर्ट की ओर से लगी रोक हटाने से इनकार कर दिया है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली स्पेशल बेंच ने दिल्ली सरकार को हाई कोर्ट जाने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली  हाई कोर्ट को 12 नवम्बर को इस मामले पर सुनवाई करने का आदेश दिया है।

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से एएसजी संजय जैन ने कहा की दीपावल के त्यौहार के दौरान कोरोना के मामले बढ़ने की संभावना है। ऐसी स्थिति में निजी अस्पतालों को अपने आईसीयू में 80 प्रतिशत बेड कोरोना के मरीजों को आरक्षित रखने के आदेश पर हाई कोर्ट की लगी रोक हटाने की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा कि आजकल रोजाना कोरोना के 5000 मामले सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर हाई कोर्ट के आदेश पर रोक नहीं लगाई गई तो हमें 5 से 6 हजार आईसीयू बेड बढ़ाने पड़ेंगे।

उल्लेखनीय है कि पिछले 22 सितम्बर को  हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने दिल्ली सरकार के आदेश पर रोक लगा दिया था। जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने दिल्ली सरकार के आदेश को संविधान की धारा 21 के खिलाफ बताया। सिंगल बेंच ने कहा था कि बीमारी खुद कभी आरक्षण का आधार नहीं बन सकती है। सिंगल बेंच के इस फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में याचिका दायर की है। पिछली 28 सितंबर को चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगने से इनकार कर दिया था।

 


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