एरीज के वैज्ञानिकों ने पता लगाया बड़े तारों के गठन में बौनी आकाशगंगाओं के विपथन के पीछे के रहस्य
नैनीताल, 28 अगस्त (हि.स.)। ब्रह्मांड में अरबों छोटी-बड़ी आकाशगंगाएं यानी अरबों तारों के समूह हैं। इनमें से कई आकाशगंगाएं हमारी दूधिया-मिल्की वे आकाशगंगा की तुलना में 100 गुना तक छोटी हैं। ये नन्ही आकाशगंगाएं बौनी आकाशगंगा कहलाती हैं। ये बौनी आकाशगंगाएं विशाल आकार वाली आकाशगंगाओं के मुकाबले बहुत धीमी गति से तारों का निर्माण करती हैं जबकि ऐसी ही कुछ बौनी आकाशगंगाएं हमारी मिल्की-वे आकाशगंगा से 10 से 100 गुना व्यापक-सामान्य दर पर नए तारे बनाते हुए देखी जाती हैं। आकाशगंगाओं की ऐसी गतिविधियां उनकी अरबों वर्ष की आयु की तुलना में काफी कम कुछ करोड़ों वर्षों तक ही चलती हैं।
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज), नैनीताल के दो खगोल वैज्ञानिकों, डॉ. अमितेश तोमर और उनके पूर्व छात्र डॉ. सुमित जायसवाल ने दो भारतीय दूरबीनों, नैनीताल के पास स्थित 1.3 मीटर व्यास की देवस्थल फास्ट ऑप्टिकल टेलीस्कोप यानी ‘डीएफओटी’ और जॉइंट मीटर वेव रेडियो टेलीस्कोप यानी ‘जीएमआरटी’ का उपयोग करके ऐसी कई आकाशगंगाओं का अवलोकन करने के बाद पाया है कि इनके इस विचित्र व्यवहार का कारण इन आकाशगंगाओं में अनियमित हाइड्रोजन वितरण और हाल ही में दो आकाशगंगाओं के बीच टकराव में भी निहित है।
इनमें से डा. तोमर ने आयनित हाइड्रोजन से निकलने वाली ऑप्टिकल लाइन विकिरण का पता लगाने में संवेदनशील ऑप्टिकल वेवलेंथ पर और डा. जायसवाल ने दूरबीन की 45 मीटर व्यास की 30 डिश के माध्यम से आकाशगंगाओं में तटस्थ हाइड्रोजन से 1420.40 मेगाहर्ट्ज पर आने वाले वर्णक्रमीय रेखा विकिरण के माध्यम से तीव्र इंटरफेरोमेट्रिक छवियों का निर्माण कर अध्ययन किया। इन छवियों से यह संकेत मिले कि इन आकाशगंगाओं में हाइड्रोजन बहुत विक्षुब्ध या बाधित है। जहां आकाशगंगाओं की कक्षाओं में हाइड्रोजन का लगभग समान वितरण मिलता है, वहीं इन बौनी आकाशगंगाओं में हाइड्रोजन अनियमित पाया जाता है और कभी-कभी अच्छी तरह से परिभाषित कक्षाओं में नहीं चल रहा होता है। इन आकाशगंगाओं के आस-पास कुछ हाइड्रोजन अलग-अलग बादलों, पंखों और पूंछों के रूप में भी पाया जाता है।
यह शोध यह भी बताता है कि दो आकाशगंगाओं के बीच टकराव से आकाशगंगाओं में तीव्र तारा निर्माण शुरू हो जाता है। 13 आकाशगंगाओं की विस्तृत तस्वीरों के साथ इस शोध के निष्कर्ष रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी यूके द्वारा प्रकाशित ‘मंथली नोटिसेज ऑफ रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी’ (एमएनआरएएस) पत्रिका के आगामी अंक में प्रकाशित होने जा रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि यह निष्कर्ष ब्रह्मांड की छोटी आकाशगंगाओं के विकास और सितारों के निर्माण को समझने में खगोलविदों की मदद करेंगे।