प्रशांत भूषण के खिलाफ 11 साल पुराने मामले की सुनवाई नई बेंच करेगी

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नई दिल्ली, 25 अगस्त (हि.स.)। प्रशांत भूषण के खिलाफ 11 साल पुराने अवमानना मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले को नई बेंच के सामने लिस्ट करने के लिए चीफ जस्टिस को भेज दिया है। नई बेंच 10 सितंबर को अभिव्यक्ति की आजादी और कोर्ट की अवमानना से जुड़े सवालों पर विचार करेगी। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इस मसले पर विस्तृत सुनवाई की जरुरत है और मेरे पास समय की कमी है। जस्टिस मिश्रा 2 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं।
सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने इस मामले को संविधान बेंच को भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि प्रशांत भूषण ने कानून के कुछ सवाल उठाए हैं जिन पर विचार करने के लिए संविधान बेंच को रेफर करना जरुरी है। धवन ने कहा कि इसम मामले में संवैधानिक मसले जुड़े हुए हैं इसलिए अटार्नी जनरल का भी पक्ष सुना जाना चाहिए। तब जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि प्रशांत भूषण की ओर से उठाए गए सवालों में से कुछ मसले पहले ही हल हो चुके हैं। तब धवन ने कहा कि संविधान की धारा 129 और 215 के तहत कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना की कार्रवाई करना संविधान के दूसरे प्रावधानों का उल्लंघन करती है या नहीं इस पर विचार करना जरुरी है। उसके बाद जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि तब इसे उचित बेंच के पास लिस्ट किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले में न केवल अटार्नी जनरल बल्कि एमिकस क्युरी के सहयोग की जरुरत भी पड़ सकती है।
जस्टिस अरुण मिश्रा ने धवन से कहा कि आपको ये जरुर विचार करना चाहिए कि लोग कोर्ट में सहायता के लिए आते हैं। अगर लोगों का विश्वास उठ जाएगा तब कौन की प्रक्रिया अपनायी जाएगी। इस पर सिब्बल ने कहा कि एक बड़ा सिद्धांत ये भी है कि आप कितने भी ऊंचे क्यों न हो कानून आपसे ऊपर है। कानून सब पर लागू होगा। सिब्बल ने कहा कि हम लोग आएंगे और जाएंगे लेकिन संस्थाएं हमेशा बनी रहेंगी। इसलिए हमें संस्थाओं की गरिमा का बचाना चाहिए।
यह मामला 2009 में दिए एक इंटरव्यू का है। उस समय प्रशांत भूषण ने 16 में से आधे पूर्व चीफ जस्टिस को भ्रष्ट कहा था। पिछले 17 अगस्त को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पहले इस पर विचार ज़रूरी है कि ऐसे बयान से पहले क्या आंतरिक शिकायत करना उचित नहीं होता।

 


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