अशांति फैलाने की कोशिश करने वालों को मिलेगा माकूल जवाब: राष्ट्रपति

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नई दिल्ली, 14 अगस्त (हि.स.)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को सीमा पर जारी गतिरोध के बीच इशारों-इशारों में चीन को सख्त संदेश देते हुए कहा कि जहां भारत शांति में विश्वास करता है, वहीं वह अशांति फैलाने के किसी भी प्रयास का करारा जवाब देने में भी सक्षम है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के इस दौर में हमारे पड़ोसी ने अपनी विस्तारवादी गतिविधियों को चालाकी से अंजाम देने का दुस्साहस किया है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 74वें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत पहल और विदेशी निवेशकों की आशंकाओं के बारे में कहा कि भारत की आत्मनिर्भरता का अर्थ है दुनिया से बिना अलगाव या दूरी बनाए आत्मनिर्भर होना।
राष्ट्रपति ने देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हुए कहा कि युवाओं के लिए यह स्वाधीनता के गौरव को महसूस करने का दिन है। उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के उत्सवों में हमेशा की तरह धूम-धाम नहीं होगी। इस वैश्विक महामारी के कारण सबका जीवन पूरी तरह से बदल गया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हम इस संकट पर विजय जरूर हासिल करेंगे।
चीन की आलोचना
राष्ट्रपति ने चीन का नाम लिया बिना उसकी आलोचना करते हुए कहा कि आज विश्व समुदाय को जब कोरोना से एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है ऐसे में हमारे पड़ोसी ने अपनी विस्तारवादी गतिविधियों को चालाकी से अंजाम देने का दुस्साहस किया। उन्होंने गलवान घाटी के शहीदों को नमन करते हुए कहा कि सीमाओं की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर करने वालों पर प्रत्येक भारतवासी को गर्व है। उन्होंने पड़ोसी देश को इशारों इशारों में सख्त संदेश देते हुए कहा कि भारतीय सेना के शौर्य ने यह दिखा दिया है कि यद्यपि हमारी आस्था शांति में है, फिर भी यदि कोई अशांति उत्पन्न करने की कोशिश करेगा तो उसे माकूल जवाब दिया जाएगा।
राम मंदिर
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में राम मंदिर का जिक्र करते हुए कहा कि अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का शुभारंभ होने से देशवासियों को गौरव की अनुभूति हुई है। उन्होंने कहा कि देशवासियों ने लंबे समय तक धैर्य और संयम का परिचय दिया और देश की न्याय व्यवस्था में सदैव आस्था बनाए रखी। श्रीराम जन्मभूमि से संबंधित न्यायिक प्रकरण को भी समुचित न्याय-प्रक्रिया के अंतर्गत सुलझाया गया। सभी पक्षों और देशवासियों ने उच्चतम न्यायालय के निर्णय को पूरे सम्मान के साथ स्वीकार किया और शांति, अहिंसा, प्रेम एवं सौहार्द के अपने जीवन मूल्यों को विश्व के समक्ष पुनः प्रस्तुत किया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
सरकार द्वारा हाल ही में घोषित राष्ट्रीय शिक्षा नीति को उन्होंने एक दूरदर्शी और दूरगामी नीति करार दिया। उन्होंने कहा कि इससे शिक्षा में समावेश, नवाचार और संस्थान की संस्कृति को मजबूती मिलेगी। नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में अध्ययन को महत्व दिया गया है, जिससे बाल मन सहजता से पुष्पित-पल्लवित हो सकेगा। साथ ही इससे भारत की सभी भाषाओं को और भारत की एकता को आवश्यक बल मिलेगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस नीति से, गुणवत्ता से युक्त एक नई शिक्षा व्यवस्था विकसित होगी जो भविष्‍य में आने वाली चुनौतियों को अवसर में बदलकर नए भारत का मार्ग प्रशस्‍त करेगी।
कोरोना महामारी
राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2020 में हम सबने कई महत्वपूर्ण सबक सीखे हैं। एक अदृश्य वायरस ने इस मिथक को तोड़ दिया है कि प्रकृति मनुष्य के अधीन है। जलवायु परिवर्तन की तरह, इस महामारी ने भी यह चेतना जगाई है कि विश्व-समुदाय के प्रत्येक सदस्य की नियति एक दूसरे के साथ जुड़ी हुई है। इक्कीसवीं सदी को उस सदी के रूप में याद किया जाना चाहिए जब मानवता ने मतभेदों को दरकिनार करके, धरती मां की रक्षा के लिए एकजुट प्रयास किए। राष्ट्रपति ने कहा कोरोना महामारी का सबसे कठोर प्रहार, गरीबों और रोजाना आजीविका कमाने वालों पर हुआ है।
कोविड-19 से निपटने में सरकार के प्रयास
 कोरोना महामारी से निपटने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इस चुनौती का सामना करने के लिए सरकार ने पूर्वानुमान करते हुए समय रहते, प्रभावी कदम उठा‍ लिए थे। इसमें जनता ने भी पूरा सहयोग दिया। इन प्रयासों से हमने वैश्विक महामारी की विकरालता पर नियंत्रण रखकर पूरे विश्‍व के सामने एक अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना योद्धाओं की जितनी सराहना करें वह कम है। राष्ट्र उन सभी डॉक्टरों, नर्सों तथा अन्य स्वास्थ्य-कर्मियों का ऋणी है जो कोरोना वायरस के खिलाफ इस लड़ाई में अग्रिम पंक्ति के योद्धा रहे हैं।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना
संकट के इस दौर में गरीबों और असहाय लोगों को सहारा देने के लिए, वायरस की रोकथाम के प्रयासों के साथ-साथ, अनेक जन-कल्याणकारी कदम उठाए गए हैं। ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ की शुरूआत करके सरकार ने करोड़ों लोगों को आजीविका दी है। लोगों की मदद के लिए, सरकार अनेक कदम उठा रही है।  उन्होंने कहा कि किसी भी परिवार को भूखा न रहना पड़े, इसके लिए जरूरतमन्द लोगों को मुफ्त अनाज दिया जा रहा है। मुफ्त अनाज उपलब्ध कराने के, दुनिया के सबसे बड़े इस अभियान को, नवंबर 2020 तक बढ़ा दिया गया है। इस अभियान से हर महीने, लगभग 80 करोड़ लोगों को राशन मिलना सुनिश्चित किया गया है।
उन्होंने कहा कि राशन कार्ड धारक पूरे देश में कहीं भी राशन ले सकें, इसके लिए सभी राज्यों को ‘वन नेशन – वन राशन कार्ड’ योजना के तहत लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया में कहीं पर भी मुसीबत में फंसे हमारे लोगों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध, सरकार द्वारा ‘वंदे भारत मिशन’ के तहत, दस लाख से अधिक भारतीयों को स्वदेश वापस लाया गया है। भारतीय रेल द्वारा इस चुनौती-पूर्ण समय में ट्रेन सेवाएं चलाकर, वस्तुओं तथा लोगों के आवागमन को संभव किया गया है।
महामारी के चलते शिक्षण संस्थानों के बंद होने का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षण संस्थानों के बंद होने से बच्चों में चिंता पैदा हुई होगी और फिलहाल वे अपने सपनों और आकांक्षाओं को लेकर चिंतित होंगे। “मैं उन्हें यह बताना चाहूंगा कि इस संकट पर हम विजय हासिल करेंगे और इसलिए अपने सपनों को पूरा करने के प्रयासों में आप सभी युवाओं को निरंतर जुटे रहना चाहिए।”
कोविड-19 देशों को पहुंचाई मदद
राष्ट्रपति ने कहा कि हमने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अन्य देशों की ओर भी मदद का हाथ बढ़ाया है। अन्य देशों के अनुरोध पर, दवाओं की आपूर्ति करके, हमने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि भारत संकट की घड़ी में, विश्व समुदाय के साथ खड़ा रहता है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की यह परंपरा रही है कि हम केवल अपने लिए नहीं जीते हैं, बल्कि पूरे विश्व के कल्याण की भावना के साथ कार्य करते हैं।
उन्होंने कहा भारत की आत्मनिर्भरता का अर्थ स्वयं सक्षम होना है, दुनिया से अलगाव या दूरी बनाना नहीं। इसका अर्थ यह भी है कि भारत वैश्विक बाज़ार व्यवस्था में शामिल भी रहेगा और अपनी विशेष पहचान भी कायम रखेगा।
प्राकृतिक आपदाएं
उन्होंने इसी दौरान, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में आए ‘अम्फान’ चक्रवात के कारण हुए भारी नुकसान का जिक्र करते हुए कहा कि इससे हमारी चुनौतियां और बढ़ गयीं। पूर्वोत्तर और पूर्वी राज्यों में, देशवासियों को बाढ़ के प्रकोप का सामना करना पड़ रहा है। इस तरह की आपदाओं के बीच, समाज के सभी वर्गों के लोग, एकजुट होकर, संकट-ग्रस्त लोगों की मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं।

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