जमुई के वाणिज्य कर अधिकारी रवि जैन को 9वां स्थान

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 यूपीएससी के नतीजों में बिहारी मेधा का परचम लहराया रवि के पिता अशोक कुमार जैन का देवघर में है पशु चारा का व्यवसाय, मंजुला गृहिणी



पटना, 04 अगस्त (हि.स.)। यूपीएससी सिविल सर्विस एग्जाम 2019 के नतीजों में बिहारी मेधा का परचम लहराया है। इसमें बिहार के जमुई के वाणिज्य कर अधिकारी रवि जैन को 9वां स्थान, भागलपुर के श्रेष्ठ अनुपम को 19वां स्थान मिला है। इसके अलावा गोपालगंज के प्रदीप सिंह को 26वां, मधुबनी के मुकुंद को 54वां, पूर्णिया के शिखर चौधरी को 97वां रैंक और बक्सर के अंशुमन राज को 107वां रैंक सहित कई छात्रों-छात्राओं ने अपना स्थान बनाया है।

सिविल सेवा परीक्षा में ही जमुई के भी एक अधिकारी रवि जैन ने 9वां स्थान पाया है। वाणिज्य कर विभाग के अधिकारी रवि जैन झारखंड के देवघर के रहने वाले है और फिलहाल बिहार में कार्यरत हैं। साधारण परिवार से आने वाले रवि के पिता अशोक कुमार जैन का देवघर में जानवरों के चारा का व्‍यवसाय है। उनकी मां मंजुला जैन गृहणी हैं। रवि जैन बिहार लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल कर जमुई वाणिज्य कर कार्यालय में जनवरी 2020 से सहायक कर आयुक्त हैं। उनकी 12वीं तक की शिक्षा देवघर से हुई है। एमिटी इंटरनेशनल स्कूल (नई दिल्ली) से ग्रेजुएशन तथा नेताजी सुभाष चंद्र बोस इंस्टीट्यूट से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्‍होंने बीटल इंडिया कंपनी में तीन साल तक नौकरी भी की। इसके बाद बीपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण कर वाणिज्य कर सेवा की नौकरी ज्वाइन कर ली।

भागलपुर के श्रेष्ठ अनुपम को मिली 19वां रैंक 

भागलपुर के गुरुद्वारा रोड में रहने वाले अनुपम ने दूसरे प्रयास में सफलता हासिल की है। उन्होंने आईआईटी दिल्ली से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। उनके पिता दिलीप कुमार अमर व्यवसायी हैं। अनुपम ने कहा कि मेन्स की परीक्षा के बाद मुझे उम्मीद थी कि मेरा रिजल्ट अच्छा आएगा। सभी पेपर उम्मीद के अनुसार हुए थे। इंटरव्यू भी अच्छा हुआ। उम्मीद थी कि टॉप 20-50 के बीच मेरा रैंक आ सकता है। कॉलेज के दिनों से ही मेरा सपना यूपीएससी परीक्षा पास करने का था। मैं अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को देता हूं। बिना परिवार के सपोर्ट के यह संभव न था।

गोपालगंज के प्रदीप सिंह को 26वां रैंक

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सिविल सेवा परीक्षा 2019 के फाइनल रिजल्ट में गोपालगंज के तीन छात्रों ने सफलता पाई है। गोपालगंज जिले के हथुआ प्रखंड के परमानपट्टी गांव के रहने वाले प्रदीप सिंह यूपीएससी में सफल रहे हैं। उनको ये सफलता दूसरी बार में मिली है। उनका रैंक 26वां है। प्रदीप के पिताजी मनोज सिंह फिलहाल इंदौर के एक पेट्रोल पंप पर नोजल मैन की नौकरी करते हैं। प्रदीप का सलेक्शन पिछले साल भी हुआ था। उस बार उन्हें 93वां स्थान मिला था। फिलहाल वह इनकम टैक्स ऑफिसर के रूप में नागपुर में तैनात थे और छुट्टी लेकर आईएएस की तैयारी में लगे हुए थे।

मधुबनी के मुकुंद को 54वां रैंकपिता चलाते सुधा दूध की दुकान

मधुबनी जिले के बाबूबरही प्रखंड के एक सुधा दूध विक्रेता मनोज कुमार बाबूबरही के बेटे मुकुंद ने भी अपने पहले प्रयास में 54वां रैंक मिला है। बेटे का रिजल्ट मालूम होते ही पिता और मां ममता देवी की आंखें छलक उठीं। बोले, बेटे ने आज जिंदगी सफल कर दी। कभी सोचा नहीं था कि जीवन में इतनी खुशियां मिलेंगी। बेटे ने नाम रोशन कर दिया। साल 2008 में मुकुंद का चयन सैनिक स्कूल, गोलपारा (असम) में हो गया। 2015 में 12वीं पास करने के बाद वे नौसेना में जाना चीते थे, लेकिन सफलता नहीं मिलने पर सिविल सेवा को अपना लक्ष्य बना लिया।

पूर्णिया के शिखर चौधरी को 97वां रैंक

यूपीएससी के फाइनल नतीजों में पूर्णिया जिले के सुखसेना के शिखर चौधरी ने भी बाजी मारी है। उनको ऑल इंडिया में 97वां रैंक मिला है। सैनिक स्कूल के शिक्षक स्वर्गीय विजेंद्र चौधरी के पौत्र और अनिल चौधरी के पुत्र शिखर चौधरी की इस सफलता पर परिजनों और गांव में खुशी का माहौल है।

बक्सर के अंशुमन राज को 107वां स्थान

बक्सर जिले के नावानगर का अंशुमन राज ने यूपीएससी में 107 वा स्थान प्राप्त किया । तीसरी बार मे मिली सफलता। पूर्व मुखिया के बेटे हैं अंशुमन। नवोदय विद्यालय बक्सर से ही किये थे इंटर तक की पढ़ाई।

खगड़िया के सत्यम को 169वां स्थान

यूपीएससी की परीक्षा में खगड़िया के सत्यम की 169वां स्थान मिला है। उनके पिता रामानुज चौधरी हैं। जिला भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष रह चुके रामानुज भाजपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं।

समस्तीपुर के साधारण शिक्षक के पुत्र राहुल को 202वां रैंक

समस्तीपुर के धुरलक निवासी शिक्षक बिपिन मिश्रा के पुत्र राहुल मिश्रा ने भी सिविल सेवा परीक्षा में 202वीं रैंक हासिल किया है। आईआईटी से इंजीनियर में स्‍नातक राहुल ने छह महीने तक एक मल्टीनेशनल कम्पनी में नौकरी की, फिर नौकरी छोड़कर सेवा की तैयारी में जुट गए। वे अपने घर पर ही पिता के सानिध्य में तैयारी करते रहे।

 


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