रामलला भूमिपूजन बने राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का कार्यक्रम: प्रियंका

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नई दिल्ली, 04 अगस्त (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण को लेकर देशभर में हर्ष का माहौल है। ऐसे में आगामी 05 अगस्त को होने वाले भूमिपूजन को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी खुशी जताई है। उन्होंने कहा है कि सरलता, साहस, संयम, त्याग, वचनवद्धता, दीनबंधु सब राम नाम का सार है। राम सबमें हैं, राम सबके साथ हैं।
प्रियंका गांधी ने मंगलवार को भूमि पूजन कार्यक्रम पर बयान जारी कर कहा कि उम्मीद है कि राममंदिर का भूमिपूजन कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का अवसर बनेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जरूरी है कि भगवान राम और माता सीता का संदेश जन-जन तक पहुंचे। कांग्रेस नेता ने कहा कि दुनिया और भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति में रामायण की गहरी और अमिट छाप है। भगवान राम, माता सीता और रामायण की गाथा हजारों वर्षों से हमारी संस्कृति और धार्मिक स्मृतियों में प्रकाश पुंज की तरह आलोकित है। भारतीय मनीषा रामायण के प्रसंगों से धर्म, नीति, कर्तव्यपरायणता, त्याग, उदात्तता, प्रेम, पराक्रम और सेवा की प्रेरणा पाती रही है। उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम तक रामकथा अनेक रूपों में स्वयं को अभिव्यक्त करती चली आ रही है। श्री हरि के अनगिनत रूपों की तरह ही राम कथा हरि कथा अनंता है।
प्रियंका ने आगे कहा कि युग युगांतर से भगवान राम का चरित्र भारतीय भूभाग में मानवता को जोड़ने का सूत्र रहा है। भगवान राम आश्रय हैं और त्याग भी। राम शबरी के हैं सुग्रीव के भी। राम वाल्मीकि के हैं और भास के भी। राम कंबन के हैं और एषुत्तच्छन के भी। राम कबीर के साथ तुलसीदास और रैदास के भी हैं। महात्मा गांधी के रघुपति राघव राजा राम सबको सन्मति देने वाले हैं।
कांग्रेस नेता ने साहित्यिक हस्तियों के कथनों को आधार बना कर भी श्रीराम की प्रमुखता को बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ‘राम को निर्बल का बल’ कहते हैं। महाप्राण निराला ‘वह एक और मन रहा राम का जो न थका’ की कालजयी पंक्तियों से भगवान राम को ‘शक्ति की मौलिक कल्पना’ कहते हैं। राम साहस हैं, राम संगम हैं, राम संयम हैं और राम ही सहयोगी। भगवान राम सबका कल्याण चाहते हैं। ऐसे में मर्यादा पुरुषोत्तम राम की कृपा से भूमि पूजन कार्यक्रम उनके संदेश को प्रसारित करने वाला राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का कार्यक्रम बने, यही कामना है।

 


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