शब्दजाल : चीनी कम्पनियों ने व्यापारियों को ‘डियर वीआईपी क्लाइंट्स’ से किया संबोधित

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गोरखपुर, 08 जुलाई (हि.स.)। भारत-चीन तनाव के बीच लोगों ने चीनी सामानों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। गोरखपुर क्षेत्र के व्यापारी भी बहिष्कार के इस जन आंदोलन में खुद को शामिल कर लिया है। इसका परिणाम चीनी कंपनियों की बेचैनी के रूप में देखने को मिल रहा है। शायद यही वजह है कि चीनी कंपनियों के आका व्हाट्सअप संदेशों और लाइव वीडियो कांफ्रेंस के जरिये व्यापारियों को मनाने का प्रयास करने लगे हैं। यहां तक कि व्यापारियों को मनाने के लिए शब्द जाल का प्रयोग भी किया जा रहा है।
गलवान घाटी में चीन और भारत के बीच हुए हिंसक झड़प के बाद व्यापारियों से लेकर आम जन ने चीनी कंपनियों के सामानों का बहिष्कार कर उनकी मुश्किलें बढ़ा दीं हैं। चीनी कंपनियां अब मान मन्नौवल के लिए लाइव कान्फ्रेंस करने में जुटीं हैं। इसके जरिये व्यापारियों को मनाने का प्रयास किया जा रहा है। अभी यह प्रयास हर ट्रेड के कारोबारियों पर डोरे डालकर किया जा रहा है। एक ऐसी ही कोशिश डिस्पोजल का कारोबार करने वाले व्यापारियों के साथ किये जाने का मामला संज्ञान में आया है।
 बताया जा रहा है कि चीनी कंपनी मिन्हायु वान्मेई बैम्बो प्रोडक्ट कंपनी लिमिटेड ने पहले से कारोबारी रिश्ता रखने वाले व्यापारियों के व्हाट्सएप नंबर पर सोमवार को संदेश भेजा गया था। लाइव कान्फ्रेंस के जरिये कारोबारियों से जुड़ने का अनुरोध किया गया था। जानकारी के मुताबिक इन कारोबारियों को लुभाने के लिए शब्दों का काफी सोच विचार कर चयन किया गया था। संदेश में व्यापारियों को ‘डियर वीआईपी क्लाइंट्स’ कहकर संबोधित किया गया था और इन सबको संदेश में दिये गए लिंक पर जाकर मंगलवार की शाम 05 से रात 09 बजे तक लाइव कान्फ्रेंस में जुटने का अनुरोध किया गया था।
व्यापारियों ने कहा, ‘वर्तमान ही नहीं भविष्य में भी नहीं रखेंगे कोई रिश्ता’
चीनी कंपनी की ओर से व्हाट्सएप पर आये संदेश के बाद व्यापारियों और कारोबारियों ने कड़े शब्दों में कहा है कि ‘वर्तमान ही नहीं भविष्य में भी चीनी कंपनियों से कोई कारोबारी रिश्ता नहीं रखना है।’ बता दें कि व्यापारियों के बहिष्कार से चीनी कंपनियों को हर महीने करीब चार करोड़ का झटका लग रहा है।
किसने क्या कहा
गोरखपुर डिस्पोजल एसोसिएशन के महासचिव विशाल गुप्ता ने बताया कि संदेश मिलने का बाद जवाब देने में कोई देर नहीं कि गयी। बिना समय गंवाए जवाब दिया गया कि ‘चीनी कंपनियों से कारोबार करने में उनकी कोई रुचि नहीं है।’ विशाल के साथ ही व्यापारी अजय जायसवाल और विनय अग्रवाल ने भी चीन से कारोबारी रिश्ता तोड़ लिया है।
अनलॉक वन से ऑर्डर बुक कराने के आ रहे संदेश
व्यापारियों का कहना है कि ‘अनलॉक-01 से ही चीनी कंपनियां ऑर्डर बुक कराने के लिए सक्रिय हैं। ऑर्डर बुक करने के लिए व्हाट्सएप पर लगातार बड़े कारोबारियों से संदेश के माध्यम से संपर्क कर रहीं हैं, लेकिन कोई रिस्पांस नहीं की वजह से लाइव कान्फ्रेंस का आयोजन किया था।
भले ही नुकसान होगा, स्थानीय माल ही बेचेंगे
व्यापारियों का कहना है कि देशहित में नफा-नुकसान नहीं देखा जाता है। भले ही नुकसान उठाना पड़ेगा, लेकिन अब चीनी सामानों को बेंचने संभव नहीं है। व्यापारियों के मुताबिक चीन से बांस व प्लास्टिक के डिस्पोजल का आयात होता है। इसमें चीन से बांस के बने चम्मच व कटोरी आदि शामिल हैं। टूथ-पिक, पैकेजिंग मग के अलावा कोल्ड ड्रिंक और सॉफ्ट ड्रिंक के लिए पाइप भी चीन से ही आता है। गोरखपुर व आसपास के जिलों में करीब 4 करोड़ का डिस्पोजल उत्पाद चीन से आता है। लेकिन अब सब पर ब्रेक लग चुका है। शायद यही वजह है कि चीनी कंपनियां बेचैन हैं।
फिनिशिंग-दाम में है अंतर
कारोबारी विशाल की मानें तो ‘बेहतर फिनिशिंग और सस्ता होने से चीनी उत्पादों की मांग अधिक होती है। चीन से आने वाले एक गत्ते चम्मच की कीमत 6 हजार है। स्वदेशी चम्मच के लिए 08 हजार रुपये चुकाना पड़ता है। फिनिशिंग में भी काफी अंतर होता है।
गीडा के उद्यमी भी तोड़ चुके हैं कारोबारी रिश्ता
गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण के दर्जन भर से अधिक उद्यमियों ने भी चीन से कारोबारी रिश्ता तोड़ लिया है। लॉकडाउन से पहले तक गीडा के उद्यमियों द्वारा चीन से लगभग 50 करोड़ रुपये का माल मंगाया जाता था। लेकिन अब उद्यमियों ने सभी उत्पादों का विकल्प तलाश लिया है। गीडा की चप्पल बनाने वाली फैक्ट्री में पॉलीमर, बियरिंग, स्टील की कांटी, फर्नीचर का कच्चा माल, एल्युमिनियम की चादर आदि का आयात होता था।
चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के उपाध्यक्ष बोले
चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के उपाध्यक्ष आरएन सिंह ने बताया कि अकेले गीडा के उद्यमियों ने ‘चीन को 50 करोड़ का झटका दिया है। भविष्य में भी चीन से कोई ट्रेड नहीं किया जाएगा। अब तो हालात यह है कि आमजन भी चीनी सामानों से तौबा कर लिया है।

 


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