नई दिल्ली, 30 जून (हि.स.) । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के नाम संबोधन से एक दिन पहले 59 चाइनीज ऐप पर बैन लगाकर गलवान घाटी में 20 भारतीय जवानों की शहादत के लिए जिम्मेदार चीन को सख्त संदेश दिया है। इससे पहले भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने देश के लिए खतरा बने चाइनीज ऐप की एक सूची केंद्र सरकार को भेजकर इनको बैन करने और फिर लोगों से इन्हें अपने मोबाइल से हटाने को कहा था । भारत के इस कदम की पूरा देश सराहना कर रहा है। सरकार के इस फैसले से चीन को आर्थिक नुकसान होना स्वाभाविक है , इसलिए चीनी मीडिया से तीखी प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं ।
चीन सरकार के मुखपत्र ’ ग्लोबल टाइम्स ’ के संपादक हु शिजिन ने भारत में 59 चीनी ऐप बैन होने के बाद ट्वीट में तंज किया, ‘अगर चीनी लोग भारतीय वस्तुओं का बहिष्कार करना भी चाहें तो उन्हें बहुत भारतीय वस्तुएं मिलेंगी ही नहीं । ‘ इसके बाद उन्होंने ‘भारतीय दोस्तों’ को आगाह करने की कोशिश की कि राष्ट्रवाद से ज्यादा कई दूसरी चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है । ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि ऐसी परिस्थितियों में चीन और भारत के बीच होने वाला व्यापार साल 2020 में एक-तिहाई तक कम हो सकता है । यहां तक कि द्विपक्षीय व्यापार में 50 फीसदी तक की भी गिरावट हो सकती है । पिछले कुछ सालों में भारत और चीन के बीच आर्थिक साझेदारी मजबूत हुई है और ऑटो, टेलिकम्युनिकेशन और फार्मा सेक्टर में दोनों पक्षों को फायदा हो रहा है । संपादकीय में कहा गया है, “चीनी आपूर्ति पर निर्भर भारतीय उद्योग चीनी माल का बहिष्कार नहीं कर पाएंगे । चीन का विकल्प ढूंढने में भारत को सालों लग जाएंगे, चाहे वह अपनी इंडस्ट्री का विस्तार करने की कोशिश करे या दूसरे देशों से निवेश लाने की । “
अखबार ने इस मुद्दे पर चीनी विश्लेषकों के हवाले से कहा है कि चीनी कंपनियों द्वारा विकसित 59 ऐप पर भारत सरकार के प्रतिबंध से भारत के प्रौद्योगिकी और इंटरनेट स्टार्टअप को नुकसान होगा, जब वे चीनी निवेश खो देंगे। यिंगके लॉ फर्म के इंडिया इन्वेस्टमेंट सर्विसेज सेंटर के कार्यकारी भागीदार शा जून ने कहा “भारत सरकार का व्यवहार ’ बहुत बचकाना और भावनात्मक ’ है और यह भारत में आगे चीनी निवेश के लिए बहुत बुरा संकेत है। ” भारत को अपने बाजार से चीनी प्रभाव को काटना मुश्किल है, क्योंकि चीनी तकनीक कंपनियां भारत के बढ़ते तकनीकी परिदृश्य पर अधिक दांव लगा रही हैं।
झोउ ने कहा, भारत सरकार ने विस्तार से यह नहीं बताया है कि चीनी ऐप भारत की सुरक्षा के लिए किस तरह खतरा पैदा कर रहे हैं और तकनीकी रूप से ऐप्स को हटाना एक कठिन प्रक्रिया है जिसमें कई इंटरनेट सेवा प्रदाता शामिल हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि चीनी ऐप्स को हटाने से भारतीय बाजार में एक वैक्यूम छोड़ जाएगा, अनौपचारिक ऐप के लिए जगह बनाई जाएगी जो और भी बड़े सुरक्षा जोखिम पैदा कर सकता है ।