1989 के बाद पहली बार त्राल हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों से मुक्त

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पुलवामा, 27 जून (हि.स.)। पुलवामा जिले के त्राल में शुक्रवार को पांच लाख के इनामी हिजबुल कमांडर मोहम्मद कासिम शाह उर्फ जुगनू सहित तीन आतंकी मारे गए। इसके अलावा एक अन्य आतंकी बसित अहमद पर्रे अपने खानदान का चौथा ऐसा लड़का था, जो बंदूक उठाने के बाद मारा गया। इसके साथ ही दक्षिण कश्मीर का त्राल क्षेत्र हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों से पूरी तरह से मुक्त हो गया है।
इस साल अब तक दक्षिण कश्मीर में 110 आतंकी मारे जा चुके हैं। और मारे गए ज्यादातर आतंकी दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, शोपियां तथा पुलवामा जिलों के ही निवासी थे। सुरक्षाबलों के लगातार प्रहार के कारण अब आतंकियों का गढ़ कहे जाने वाला त्राल तीन दशक बाद आतकियों से मुक्ति पा चुका है। 1989 के बाद पहली बार त्राल में हिजबुल मुजाहिदीन का एक भी स्थानीय आतंकी जिदा नहीं है।
कश्मीर घाटी में आतंक को एक नया रूप प्रदान करने वाले हिजबुल का पोस्टर ब्वॉय बुरहान वानी और अलकायदा से जुड़े असार गजवात उल हिद का कमांडर जाकिर मूसा के मारे जाने के बाद कश्मीर घाटी में हिसंक वारदातों में उछाल आया लेकिन सुरक्षाबलों के अथक प्रयासों से धीरे-धीरे इसमें कमी आई और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद तो कश्मीर घाटी में आतंक पर प्रहार तेज कर दिए गए। खास करके दक्षिण कश्मीर में युवाओं को सही राह पर लाने में पुलिस व अन्य सुरक्षाबलों ने एक अहम भूमिका निभाई। इसमें स्थानीय लोगों ने भी पूरा साथ दिया। बुरहान वानी तथा जाकिर मूसा भी त्राल के ही निवासी थे।
सभी आतंकी संगठनों के आतंकी अपने ठिकाने के रूप में त्राल के जंगलों को ही सुरक्षित स्थान मानते थे और यहां आतंकियों के स्थानीय मददगार भी मिल जाते थे।
लेकिन अब त्राल में हिजबुल आतंकियों का डर समाप्त होने के बाद यहां के युवा आतंक की राह पर नहीं चलना चाहते। वे सुकून और अमन का जीवन जीकर अपने प्रदेश का नाम रोशन करना चाहते हैं। इसमें पुलिस तथा अन्य सुरक्षाबल भी उनका पूरा साथ दे रहे हैं।

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